हिंदू धर्म के सभी पूजन हवन द्वारा संपन्न होते है। नवरात्रि मां दुर्गा (Maa Durga) की 9 दिन की पूजा है। जब साक्षात मां दुर्गा (Maa Durga) अपने भक्तों के लिए आती है। नवरात्रि (Navratri) की आखरी दिन दुर्गा अष्टमी या दुर्गा/ राम नवमी (Ram Navami) को नवरात्रि हवन के बाद नवरात्रि पूजा संपन्न होती है। हवन करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलती है और घर का वातावरण पवित्र हो जाता है।
एक सूखा नारियल, लाल रंग का कपड़ा या कलावा, आम की सूखी लकड़ियां, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, चंदन की लकड़ी, बेल, नीम, पीपल का तना और छाल, गूलर की छाल, काला तिल, कर्पूर, चावल, गाय का घी, लौंग, इलायची, गुग्गल, जौ और शक्कर, रौली, मौली, अक्षत, पुष्प, हवन कुंड (Havan Kund), हवन सामग्री (Havan Samagri)।
हवन करने के लिए सबसे पहले मां दुर्गा (Maa Durga) की पूजा करे। पूजा के पश्चात पूजा स्थल पर हवन कुंड (Havan Kund) स्थापित करे। इसके पश्चात आम की सूखी लकड़ियों को हवन कुंड (Havan Kund) में रखकर कपूर की मदद से अग्नि प्रज्वलित करें। हवन करते समय अपना सिर ढक ले। अब मंत्रोच्चाण के साथ मां दुर्गा (Maa Durga) का आह्वान करे।
समस्त हवन सामग्री (Havan Samagri) को मिला कर निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए हवन कुंड (Havan Kund) में आहुतियां दें।
ओम आग्नेय नम: स्वाहा
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा
ओम जयंती मंगलाकाली,
भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा
स्वधा नमस्तुति स्वाहा
।। ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।।
।। ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।।
।।ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।।
सूखे नारियल में लाल वस्त्र या कलावा बाध दें, नारियल के शीर्ष पर पान सुपारी, खीर, पूरी, शहद, लौंग रखकर उसे हवन कुंड के मध्य भाग में स्थापित करे। अब मां दुर्गा (Maa Durga) का ध्यान करते हुए इन मंत्रों के साथ एक बार फिर से आहुति दें।
अंत में मां दुर्गा (Devi Maa Durga) के मुख्य मंत्र "ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः स्वाहा" मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हवन कुंड (Havan Kund) में पूर्णाहुति दे।
ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा मंत्र का जाप करते हुए यज्ञ हवन (Yagya Hawan) संपन्न करे।
अब आरती की थाल में कपूर जलाकर मां दुर्गा की आरती (Maa Durga ki Aarti) करें। आरती के बाद कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोग ग्रहण करे।
हवन अच्छे स्वास्थ्य, मंगल कामना एवं दोष मुक्ति के लिए किया जाता है।
हवन के दौरान किए गए मंत्रों के जाप से देवी-देवता तृप्त होते है।
हवन पूजा (Hawan Puja) करने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है।
हवन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
यज्ञ हवन (Yagya Havan) के जरिए कुंडली दोष का निवारण होता है।
यज्ञ हवन करने से धार्मिक आस्था को बल मिलता है।
हवन से हर प्रकार के 94% जीवाणुओं का नाश होता है जिससे घर और वातावरण की शुद्धि भी होती है।
माना जाता है कि अग्नि के माध्यम से यानि की हवन के माध्यम से ही देवी देवताओं को अर्पित होने वाली सामग्री उन तक पहुंचती है।
हवन के बिना नवरात्रि की पूजा (Navratri ki Puja) अधूरी मानी जाती है। ऐसी मान्यता हैं कि नवरात्रि में हवन करने के बाद ही इसका पूर्ण फल मिलता है।
पूरब पश्चिम विशेष -
Hanuman Chalisa | Shiv Chalisa | Hanuman Ji | Ganesh Chalisa
Ganesh Aarti | Lakshmi Aarti | Hanuman Aarti | Vishnu Chalisa
Gayatri Mantra | Bhagwan Vishnu | Saraswati Chalisa
Maa Kali | Ram Ji | Shani Aarti | Durga Mata | Vishnu Aarti
बहुत सुंदर है।