Tuesday, October 14

पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi)

पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi)

पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) हिंदू धर्म की एक अत्यंत महत्वपूर्ण एकादशी है, जो आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। इसे करने से समस्त पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में इसका विशेष महत्व बताया गया है कि यह व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला है और पितृ दोष से मुक्ति भी दिलाता है।

पापांकुशा एकादशी का महत्व (Papankusha Ekadashi ka Mahatva)

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। हर साल 24 एकादशी आती हैं और हर एक का अपना महत्व होता है। उनमें से पापांकुशा एकादशी सबसे खास मानी जाती है क्योंकि यह व्यक्ति के पापों को नष्ट करके उसे मोक्ष की ओर ले जाती है। पद्मपुराण के अनुसार, इस व्रत को करने वाला भक्त सभी सांसारिक दुखों से मुक्ति पाकर भगवान विष्णु (Shri Hari Vishnu) की कृपा प्राप्त करता है।

पापांकुशा एकादशी 2025 की तिथि और समय  (Papankusha Ekadashi Date & Time 2025)

2025 में पापांकुशा एकादशी 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 5 अक्टूबर 2025, रात्रि 08:13 बजे
     
  • एकादशी तिथि समाप्त: 6 अक्टूबर 2025, रात्रि 06:40 बजे
     
  • पारण का समय: 7 अक्टूबर 2025 प्रातः 06:15 से 08:30 बजे तक

पापांकुशा एकादशी व्रत विधि (Papankusha Ekadashi Vrat Vidhi)

  1. प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
     
  2. भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
     
  3. तुलसी पत्र, पीला वस्त्र, पंचामृत, फल और फूल भगवान विष्णु को अर्पित करें।
     
  4. दिनभर व्रत रखें, केवल फलाहार करें।
     
  5. सायंकाल दीपक जलाकर पापांकुशा एकादशी की कथा सुनें।
     
  6. अगले दिन पारण करके व्रत का समापन करें।

पापांकुशा एकादशी की कथा (Papankusha Ekadashi ki Katha)

पुराणों के अनुसार एक क्रूर शिकारी था, जो अपना जीवन हिंसा और पाप में बिताता था। जब मृत्यु का समय आया तो यमदूत उसे ले जाने आए। भयभीत होकर उसने नारद मुनि से सहायता मांगी। नारद जी ने बताया कि यदि उसने पापांकुशा एकादशी का व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) किया होता तो यमराज का भय कभी नहीं सताता और उसे विष्णु धाम की प्राप्ति होती। यह सुनकर शिकारी ने अगली जन्म में यह व्रत किया और मोक्ष पाया। इस कथा से स्पष्ट है कि यह एकादशी पापों का नाश कर भगवान विष्णु की कृपा दिलाती है।

पापांकुशा एकादशी का इतिहास और मान्यता (History and significance of Papankusha Ekadashi)

शास्त्रों के अनुसार, पापांकुशा एकादशी करने से उतना पुण्य मिलता है जितना हजारों वर्षों तक तपस्या करने से भी नहीं मिलता। यह व्रत केवल पाप नाशक है बल्कि यह भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ की प्राप्ति कराता है। साथ ही, यह पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी उत्तम माना जाता है।

पापांकुशा एकादशी के लाभ (Papankusha Ekadashi Ke Labh)

  • पापों का नाश होता है।

  • भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
     
  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
     
  • पितृ दोष और दुखों से मुक्ति मिलती है।
     
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

FAQs

प्रश्न 1: पापांकुशा एकादशी कब मनाई जाती है?

पापांकुशा एकादशी हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह व्रत 6 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रहा है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करके पापों से मुक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 2: पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व क्या है?

पापांकुशा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इसे करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, परिवार में सुख-शांति आती है और पितृ दोष का नाश होता है। यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी है।

प्रश्न 3: पापांकुशा एकादशी पर क्या करना चाहिए?

इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, तुलसी और भगवान विष्णु को फल, फूल और पंचामृत अर्पित करते हैं। व्रत के दौरान कथा सुनना या पाठ करना चाहिए। दिनभर सात्विक भोजन करें और सायंकाल दीपक जलाकर भगवान विष्णु की प्रार्थना करें, ताकि पापों से मुक्ति और पुण्य प्राप्त हो।

प्रश्न 4: क्या पापांकुशा एकादशी व्रत सभी कर सकते हैं?

हाँ, पापांकुशा एकादशी व्रत सभी कर सकते हैं। स्त्री-पुरुष, युवा-बुजुर्ग, विवाहित या अविवाहितसभी श्रद्धा और नियम से व्रत करके इसका फल पा सकते हैं। यह व्रत हर किसी के लिए पुण्यकारी है और जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और भगवान विष्णु की कृपा लाता है।

प्रश्न 5: पापांकुशा एकादशी की कथा क्यों सुननी चाहिए?

कथा सुनने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। पापांकुशा एकादशी की कथा में बताया गया है कि किस प्रकार यह व्रत पाप नाश और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग है। कथा सुनने से भक्त का मन शांत होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर जीवन में सुख-शांति आती है।

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