कुबेर (Bhagwan Kuber)

Bhagwaan Kuber

कुबेर (Bhagwan Kuber)

भारतीय पौराणिक कथाओं में देवताओं का विशेष महत्व है। ये देवता धर्म और समृद्धि के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे ही एक देवता है जिसका नाम धन के देवता (Dhan ke Devta) के रूप में प्रसिद्ध है, उन्हें भगवान कुबेर (Bhagwan Kuber) के नाम से जाना जाता है। कुबेर को हिंदू पौराणिक कथाओं में धन, समृद्धि, खजाने, वित्तीय सफलता दिलाने वाले धनपति के रूप में जाना जाता है। इसलिए, उन्हें "धनाधिपति" भी कहा जाता है।

कुबेर का जन्म (Birth of Kuber)

कुबेर का जन्म लंका के राजा ऋषिकुल के घर में हुआ था। वे विश्रावसु (महर्षि विश्रवा) और देववर्णिणी के पुत्र थे। कुबेर का रंग भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) की भू-वाहन गरुड़ के रंग जैसा था, इसलिए उन्हें "धनाधिष" के रूप में भी जाना जाता है।

कुबेर की तपस्या (Kuber's Penance)
 

कुबेर अपने पिता की सत्ता और धन के इच्छुक थे, इसलिए वो असीम धन और अपूर्व संपत्ति प्राप्त करने के लिए युद्ध करना चाहते थे। ऋषिकुल ने कुबेर के विचारों को भांप लिया और उन्हें धर्म की शिक्षा देने के लिए दिव्य ज्ञान प्रदान किया। कुबेर ने ऋषिकुल के उपदेश को माना और सम्पूर्ण अन्याय और दुर्व्यवहार से दूर रहने का संकल्प लिया। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की तपस्या और पूजा करने की शुरुआत की।

कुबेर की तपस्या का फल (fruit of penance)

कुबेर की भक्ति से भगवान शिव (Lord Shiva) प्रसन्न हो गए और कुबेर को एक दिव्य वरदान दिया। उन्होंने कुबेर से कहा, "विश्व में सबसे धनी और समृद्धि संपन्न व्यक्ति अब तुम ही होगे।" इससे पहले, ये पद देवताओं के राजा इंद्र (Devtao ke Raja Indra Dev) के पास था, लेकिन भगवान शिव के वरदान के बाद इंद्र का धन कुबेर का हो गया।
 
कुबेर की राजसत्ता (Kuber's kingdom)
 
कुबेर (Lord Kubera) ने ऋषिकुल के उपदेश के अनुसार धर्मप्राण और न्यायप्रिय रूप से राजसत्ता की व्यवस्था की। उन्होंने धर्मरक्षा के लिए अनेक दान किए और धन का सर्वथा सही उपयोग किया। कुबेर की राजसत्ता के दौरान, उन्होंने ब्रह्मविद्या, संस्कृति और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अनेक यज्ञ और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए। उन्होंने भगवान विष्णु, भगवान शिव और अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना में विशेष रुचि दिखाई। 
 
लंका की समृद्धि और भव्यता (The Prosperity and Magnificence of Lanka)
 
कुबेर ने अपने राज्य लंका को अपूर्व समृद्धि, सामर्थ्य और भव्यता से सजाया। उन्होंने लंका को स्वर्गीय भव्यता से सजाकर एक सुंदर नगर बना दिया था। उनके राज्य के धरोहर आज भी देखे जा सकते हैं। उनके ध्वज को चिह्नित करने वाली मास्करा गुफा आज भी लंका में स्थित है।
 
कुबेर का महत्व (Significance of Lord Kubera)
 
कुबेर धन, समृद्धि, सम्पत्ति, और धनपति के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें धन, भव्यता, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। उन्हें सम्पूर्ण धर्मिक उत्सवों और पूजा-अर्चना में विशेष महत्व दिया जाता है। व्यापारिक और वित्तीय सफलता के लिए भी कुबेर की पूजा की जाती है।
 
कुबेर की पूजा और उपासना (Worship of Lord Kubera)
 
कुबेर की पूजा (Bhagwan Kuber ki Puja) और उपासना धन और समृद्धि को प्राप्त करने के लिए की जाती है। इसके लिए, लोग विशेष दिवसों पर उनकी पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और धन संबंधी उपासना करते हैं। कुबेर की पूजा और उपासना से लोगों को धन, समृद्धि, सम्पत्ति, और वित्तीय सफलता की प्राप्ति होती है।
 
भगवान कुबेर (Bhagwan Kuber) धन, समृद्धि और सम्पत्ति के देवता (God of Wealth) के रूप में जाने जाते हैं। यह धन संपत्ति भगवान शिव की विशेष कृपा से प्राप्त हुई थी। उनकी पूजा और उपासना से व्यक्ति को धन, समृद्धि और वित्तीय सफलता मिलती है। भगवान कुबेर के माध्यम से, लोगों को धर्म और न्याय का उपदेश दिया जाता है, जो लोगों को धनी और समृद्ध होने के साथ-साथ धार्मिक और न्यायप्रिय बनाता है।


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