Monday, September 15

बांके बिहारी की आरती (Banke Bihari Ki Aarti)

banke bihari ki aarti

श्री बांके बिहारी की आरती (Shri Banke Bihari Ki Aarti)

भारत की भक्ति परंपरा में बांके बिहारी जी  (shri banke bihari ji)का स्थान अत्यंत विशेष है। प्रेम, माधुर्य और रास की मूर्ति माने जाने वाले ठाकुर बांके बिहारी जी की आरती का अनुभव भक्तों को अलौकिक शांति और सच्चे आनंद की अनुभूति कराता है। बांके बिहारी की आरती केवल एक धार्मिक क्रिया है, बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच की एक आत्मिक प्रक्रिया है।

श्री बांकेबिहारी तेरी आरती गाऊं। कुंजबिहारी तेरी आरती गाऊ।

श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊं। श्री बांकेबिहारी तेरी आरती गाऊं॥

मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे। प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।

देखि छवि बलिहारी जाऊं। श्री बांकेबिहारी तेरी आरती गाऊं॥

चरणों से निकली गंगा प्यारी। जिसने सारी दुनिया तारी।

मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं। श्री बांकेबिहारी तेरी आरती गाऊं॥

दास अनाथ के नाथ आप हो। दुख सुख जीवन प्यारे साथ हो।

हरि चरणों में शीश नवाऊं। श्री बांकेबिहारी तेरी आरती गाऊं॥

श्री हरि दास के प्यारे तुम हो। मेरे मोहन जीवन धन हो।

देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊं। श्री बांकेबिहारी तेरी आरती गाऊं॥

आरती गाऊं प्यारे तुमको रिझाऊं। हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।

श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊं। श्री बांकेबिहारी तेरी आरती गाऊं॥

बांके बिहारी की आरती का महत्व

ठाकुरजी की भक्ति का वह रूप है, जिसमें भक्तजन प्रेमपूर्वक भगवान की आराधना करते हैं। माना जाता है कि जो भी श्रद्धा से इस आरती का पाठ करता है, उसे भगवान श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह आरती हृदय को शुद्ध करती है, मन को शांति देती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।

आरती के समय बांके बिहारी जी की झलक भर से ही मन भावविभोर हो उठता है। ऐसा कहा जाता है कि बिहारी जी स्वयं अपने भक्तों के प्रेम में बंध जाते हैं, और इसलिए उनकी मूर्ति को देर तक देखा नहीं जाता, बार-बार पर्दा डाला जाता है।

बांके बिहारी की आरती का समय

वृन्दावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में प्रतिदिन नियमित आरती नहीं होती है। यह मंदिर विशेष है, क्योंकि यहाँ सिर्फ एक बार ही आरती की जाती हैश्रावण पूर्णिमा और अन्नकूट जैसे विशेष पर्वों पर।

हालांकि, प्रतिदिन मंगल आरती या शयन आरती जैसी सेवाएँ होती हैं, लेकिन ये सीमित होती हैं:

  • मंगल आरती (केवल जन्माष्टमी, अन्नकूट आदि विशेष अवसरों पर)
     
  • शयन सेवा: रात में मंदिर बंद होने से पहले की जाती है।
     
  • झांकी दर्शन: दिन में तीन बारसुबह, दोपहर और शाम।

बांके बिहारी मंदिर का इतिहास

बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन के सबसे प्रमुख और श्रद्धा के केंद्रों में से एक है। यह मंदिर स्वामी हरिदास जी द्वारा 1864 में बनवाया गया था। कहा जाता है कि स्वामी हरिदास जी राधा-कृष्ण  (radha-krishna)के अनन्य भक्त थे और उन्हीं की साधना से ठाकुरजी प्रकट हुए।

मूर्ति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह "त्रिभंग मुद्रा" में हैयानी एक पैर मोड़ा हुआ, कमर झुकी हुई और ग्रीवा भी मुड़ी हुई। इस मुद्रा में श्रीकृष्ण को "बांके बिहारी" कहा जाता है।

बांके बिहारी आरती के प्रमुख दिन

  • जन्माष्टमी
     
  • अन्नकूट / गोवर्धन पूजा
     
  • फाल्गुन पंचमी से रंग महोत्सव तक
     
  • शरद पूर्णिमा
     इन अवसरों पर बांके बिहारी की आरती विशेष रूप से आयोजित की जाती है और दर्शन के लिए लंबी लाइनें लगती हैं।
     

निष्कर्ष

बांके बिहारी की आरती केवल एक परंपरा नहीं, यह प्रेम का भाव है, जिसमें भक्त अपने भगवान को मन, वचन और कर्म से अर्पित करते हैं। वृंदावन का यह मंदिर और यहां की आरती एक ऐसी अनुभूति है जिसे शब्दों में नहीं, केवल श्रद्धा में महसूस किया जा सकता है।

अगर आपने कभी बांके बिहारी जी की आरती में भाग नहीं लिया, तो एक बार वृंदावन जरूर जाइएयह अनुभव जीवनभर आपके साथ रहेगा।

"जय श्री बिहारी जी!"

FAQs

1. बांके बिहारी की आरती का समय क्या है?
मंगल आरती सुबह 4:00 बजे होती है, लेकिन केवल खास पर्वों जैसे जन्माष्टमी पर। नियमित आरती का कोई निश्चित दैनिक समय नहीं है।

2. क्या आम भक्त मंदिर में आरती में शामिल हो सकते हैं?
 हाँ, लेकिन सिर्फ विशेष पर्वों पर आरती होती है और उसमें भी सीमित संख्या में ही भक्त भाग ले पाते हैं।

3. क्या बांके बिहारी की आरती ऑनलाइन देखी जा सकती है?
हाँ, कई YouTube चैनल्स और धार्मिक ऐप्स पर बांके बिहारी जी की आरती और लाइव दर्शन उपलब्ध होते हैं।

4. क्या मंदिर में कोई प्रवेश शुल्क है?
नहीं, मंदिर में प्रवेश पूरी तरह से निःशुल्क है। लेकिन भक्तों को दान देने की अनुमति है।

5. क्या मंदिर के अंदर फोटो या वीडियो लेना अनुमति है?
नहीं, पूजा स्थल की पवित्रता बनाए रखने के लिए फोटोग्राफी और वीडियो रिकॉर्डिंग सख्त मना है

  • Share: