तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) तुलसी विवाह एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हिन्दू धर्म के प्रतीक और महत्व के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु के प्रतिनिधि रूप में मानी जाने वाली तुलसी पौधे की कन्यादान करना है। यह पर्व कार्तिक मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे पूरे उत्तर भारत में धूमधाम स
विवाह पंचमी: हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व "विवाह पंचमी" हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हम हिन्दू संस्कृति के महत्वपूर्ण घटक के रूप में मानते हैं। यह पर्व श्रीराम और सीता के विवाह की खुशियों और मिलन के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। "विवाह पंचमी" को कार्तिक मास के पंचमी तिथि को मनाया जात
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार वर्ष के सातवें महीने को आश्विन (क्वांर) माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) कहा जाता है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Purnima), कौमुदी पूर्णिमा (Kaumudi Purnima) और रास पूर्णिमा (Raas Purnima) भी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे वर्ष में एक यही ऐसी पूर्णिमा है ज
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) वैदिक पंचांग के अनुसार वर्ष का आठवां महीना कार्तिक, सबसे पवित्र महीना माना गया है। कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव-दीवाली (Dev Diwali) का अंतिम पर्व माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) विशेषकर स्नान, दान, तप व तुलसी पूजा (Tulsi Puja) का पर्व है। इस पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima), देव पूर्ण
धनतेरस (Dhanteras) दीपावली से दो दिन पूर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस (Dhanteras) का पर्व मनाया जाता है। समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वन्तरि (Bhagwan Dhanvantari) अमृत का स्वर्णकलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन धनतेरस (Dhanteras) के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस द
अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) वैदिक कलेंडर के भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान विष्णु (Vishnu Bhagwan) के अनंत स्वरूप और माता लक्ष्मी (Laxmi Mata) रक्षा सूत्र अर्पित कर उसे बांधने की पूजा को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) या अनंत चौदस कहा जाता है। क्यों मनाया जाता है यह पर्व (Why is this festival celebrated) रोग-दोष एवं अन्य व्याधियों से मुक
राधाष्टमी (Radhashtami) राधाष्टमी भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की ही तरह पवित्र त्यौहार है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पन्द्रह दिन बाद भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण की प्रिय सखी एवं अधिष्ठात्री श्रीराधाजी का जन्म हुआ था। श्रद्धालु इस दिन अपनी आराध्य देवी राधारानी का जन्मदिन पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के
विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती महोत्सव का आयोजन भगवान विश्वकर्मा जी के प्राकट्य अवसर अर्थात् जन्मदिन के अवसर पर किया जाता है। जन्म तिथि का विवरण (Date of birth details of Lord Vishwakarma) विश्वकर्मा पूजा भारतीय कैलेंडर के अनुसार कन्या संक्रांति को मनायी जाती है। माना जाता है कि भगवान वि
वटसावित्री पूजा और व्रत का महत्त्व (Importance of Vatsavitri Puja): हिंदू धर्म (Hindu Dharam) में वटसावित्री पूजा (Vatsavitri Puja)और व्रत का विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि, वट वृक्ष की पूजा करने से और वटसावित्री का व्रत रखनेवाली स्त्रियों के पति की आयु में वृद्धि होती है और पति पर आए संकट टल जाते हैं, पति को हर कार्य में सफ़लता मिलती है। इसके अत
अक्षय तृतीया (Akshay Tritya) अक्षय तृतीया जिसे आखा तीज (Akha Teej) के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू समुदायों के लिए अत्यधिक शुभ और पवित्र दिन है। यह वैशाख मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को पड़ता है। रोहिणी नक्षत्र के दिन बुधवार के साथ पड़ने वाली अक्षय तृतीया (Akshay Tritya) को बहुत शुभ माना जाता है। अक्षय (अक्षय) शब्द का अर्थ है कभी कम न