कल्कि अवतार (Kalki Avatar)

Kalki Avatar

कल्कि अवतार (Kalki Avatar)

10th Avatar of Lord Vishnu - The Avatar of Kalki

हिंदू धर्म में, कल्कि अवतार को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का दसवां और अंतिम अवतार माना जाता है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे भविष्य में धर्म की रक्षा के लिए प्रकट होंगे। कल्कि अवतार की अवधारणा विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों में है, विशेष रूप से कल्कि पुराण (Kalki Puran) में, जो अवतार के उद्देश्य, विशेषताओं और कार्यों का व्यापक विवरण प्रदान करता है। यद्यपि विभिन्न परंपराओं के बीच कल्कि अवतार की व्याख्याएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन सब में एक बात समान है, सभी परंपराओं और धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि कल्कि का आगमन कलियुग के दौरान होगा। इस युग को मानव इतिहास का सबसे अंधकारमय और उथल-पुथल वाला युग माना जाता है।
 
कल्कि अवतार को लेकर भविष्यवाणी (Predictions about Kalki Avatar)

कल्कि अवतार का वर्णन शास्त्रों में सजीव रूप से वर्णित है। उन्हें एक सफेद घोड़े पर सवार, धधकती तलवार चलाने वाले और दिव्य गुणों से सुशोभित एक योद्धा के रूप में वर्णित किया गया है। यह चित्रण पवित्रता, शक्ति और धार्मिकता की अजेय शक्ति का प्रतीक है, जिसका प्रतीक भगवान कल्कि हैं।
 

कल्कि के जन्म के बारे में भविष्यवाणी (Prediction about the birth of Lord Kalki)
 
कल्कि अवतार को लेकर की गई भविष्यवाणी के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म शम्भाला गांव में विष्णुयश (Vishnuyash) नाम के ब्राह्मण के घर में होगा। उनकी माता का नाम सुमति (Sumati) होगा। उनका विवाह बृहद्रथ की पुत्री पद्मादेवी (Padmadevi) के साथ होगा। सनातन धर्म में कलियुग की उम्र 4 लाख 32 हजार वर्ष बताई जाती है। कहा जाता है कि कल्कि इस धरती पर अवतार लेकर कलियुग को समाप्त करेंगे। साथ ही बुराई और दुष्टता को खत्म करने के साथ ही एक नए युग की शुरुआत करेंगे। श्रीमद्भागवतमहापुराण (Shrimad Bhagwat Mahapuran) में कल्कि के अवतार का विस्तार से वर्णन किया गया है। श्रीमद्भागवतमहापुराण में कहा गया कि जब कल्कि इस दुनिया को पापियों से मुक्त कर देंगे, तब प्रलय के बाद सतयुग (Satyug) की फिर से शुरुआत होगी। 
 

कल्कि के मंदिर (Kalki Temple in India)
 
वर्तमान में भगवान कल्कि का मंदिर (Bhagwan Kalki ka Mandir) उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित है। यह मंदिर कल्कि विष्णु मंदिर (Kalki Vishnu Mandir) के नाम से विख्यात है। इसके अलावा जयपुर में भी एक कल्कि मंदिर स्थित है। इस मंदिर को 18वीं शताब्दी में जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। इस मंदिर के प्रांगण में सफेद संगमरमर से बनी घोड़े की मूर्ति है। घोड़े की मूर्ति के अलावा मंदिर में कल्कि और लक्ष्मी (Devi Lakshmi) की मूर्तियां स्थित हैं।
 

कल्कि अवतार का वर्णन (Description of the Kalki incarnation)
 
कल्कि अवतार का वर्णन कल्कि पुराण (Kalki Purana) के अलावा अग्नि पुराण (Agni Purana) और देवी भागवत पुराण (Devi Bhagwat Puran) में भी मिलता है। देवी भागवत पुराण में कहा गया है कि जब भविष्य में इस संसार के लगभग सभी लोग म्लेच्छ बन जाएंगे (अस्पष्टभाषी अथवा ऐसी भाषा बोलने वाला जिनमें वर्णों का व्यक्त उच्चारण न होता हो) और जब दुष्ट राजा लोगों पर अत्याचार करेंगे, तब भगवान विष्णु (Lord Vishnu) कल्कि के रूप में इस धरती पर फिर से अवतार लेंगे और सभी दुष्टों को खत्म करके धर्म की स्थापना करेंगे।
 
कल्कि अवतार सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह अवधारणा अंधकार और नैतिक पतन के समय में दिव्य हस्तक्षेप की भविष्यवाणी करती है। इस अवतार के प्रकट होने से मानव इतिहास का एक परिवर्तन का समय आएगा, जो धर्म की पुनर्स्थापना और ज्ञान की जीत के साथ एक नई युग की स्थापना करेगा।

 

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