उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर के वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Sri Krishna) और उनके बड़े भाई बलराम (Balram) को समर्पित मंदिर को इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) कहते हैं। स्थानीय लोग इस मंदिर को अंग्रेजों के मंदिर रूप में भी जानते हैं। वृंदावन के सभी मंदिरों में सबसे भव्य एवं सुंदर तथा आकर्षक मंदिर के रूप में इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) को जाना जाता है। इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) के अंदरूनी भाग की पेंटिंग, कलाकारी, नक्काशी और चित्रकारी बहुत ही मनमोहक और आकर्षक है। इस मंदिर की खूबसूरती की चर्चा दूर-दूर तक होने के कारण मंदिर की भव्यता को देखने के लिए भारी संख्या में पर्यटक आते हैं। यह मंदिर जहां अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं, वहीं यह मंदिर कृष्ण भक्तों को सबसे प्रिय है क्योंकि यहां पर पूजा-अर्चना के साथ शांतिपूर्ण ध्यान लगाने के लिए बहुत ही अच्छा वातावरण है।
इस्कॉन मंदिर का पूर्ण परिचय (Complete introduction of ISKCON temple)
इस्कॉन मंदिर (Iskcon Mandir) को स्थापना करने वाली संस्था का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (International Society for Krishna Consciousness)
है। इस संस्था की स्थापना भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) ने वर्ष 1966 ई. में न्यूयॉर्क में की थी। इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) का सीधा सम्बन्ध गौडीय वैष्णव संप्रदाय से है। यह संस्था भगवान श्रीकृष्ण (Sree Krishna) के प्रति अपने विचारों और कार्यों को समर्पित है। इस संस्था का उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण (Sri Krishna) की भक्ति एवं उनके द्वारा सिखाए गए योग आसनों के अभ्यास का प्रचार-प्रसार करना है।
इस्कॉन मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ (When and how was ISKCON temple built?)
मान्यता है कि इस्कॉन के विचारों को भगवान श्रीकृष्ण (Sri Krishna) के अवतारी श्री चैतन्य महाप्रभु (Sri Chaitanya Mahaprabhu) द्वारा शुरू किया गया था। संस्था का कहना है कि स्वामी प्रभुपाद (Swami Prabhupada) भारत के अनेक शहरों में इस्कॉन मंदिरों (Iskcon Temple) का निर्माण करवाना चाहते थे लेकिन वह 1975 में मथुरा के वृंदावन में यह मंदिर बनवा सके। इसके बाद उनकी 1977 में मृत्यु हो गयी।
इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) यमुना के उस तट पर बनाया गया है, जहां के बारे में यह कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण (Sri Krishna) और उनके बड़े भाई बलराम (Balram) अपनी गायों को चराते थे तथा गोपियों व सखाओं के साथ क्रीड़ाएं करते थे। यह मंदिर श्रीकृष्ण-बलराम (Sri Krisna-Balram) के बचपन से जुड़ी यादों को ताजा कराता है। क्योंकि इस मंदिर के अन्दर जुड़ी चित्रकारी भगवान श्रीकृष्ण (Sri Krisna) एवं बलराम (Balram) के बचपन की यादों से जुड़े अनेक चित्र बनाये गये हैं, इससे यहां आने वाले श्रद्धालु भक्त कृष्णमय हो जाते हैं। 1975 में बने इस मंदिर की ख्याति बहुत जल्द ही देश में दूर-दूर तक फैलने गयी। साथ ही विदेशों में भी यह मंदिर मशहूर हो गया।
इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) के अन्दर स्थापित सभी प्रतिमाओं के वस्त्र दिन में दो बार बदले जाते हैं। यहां पर पूजा भी 24 पुजारियों द्वारा बहुत ही सुंदर तरीके से की जाती है। यहां की शाम की आरती विशेषकर बहुत ही आनंदित करने वाली होती है।
वृंदावन का इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है। इस मंदिर की दीवारों पर श्रीकृष्ण (SriKrisna) एवं बलराम (Balram) के बचपन से जुड़ी अनेक घटनाओं पर आधारित खूबसूरत नक्काशी वाली चित्रकारी और पेंटिंग भी की गयी है। इस्कॉन मंदिर (Iskcon Mandir) की तीन वेदियों में से मध्य की वेदी में श्रीकृष्ण और बलराम की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
इंस्कान मंदिर (Iskcon Temple) के मध्य में ही बाएं ओर चैतन्य महाप्रभु, नित्यानंद, भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद और उनके आध्यात्मिक मार्गदर्शक भक्तिसिद्धान्त सरस्वती ठाकुर की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर परिसर में ही गोशाला, स्वामी प्रभुपाद की समाधि, प्रभुपाद हाउस, महा प्रसादम स्टाल,वृंदा कुंड,गुप्ता कुंड और भक्तिवेदना बुक ट्रस्ट संग्रहालय भी दर्शनीय स्थल हैं।
इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) के कपाट प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में चार बजकर दस मिनट पर खोले जाते हैं। सर्वप्रथम समाधि आरती (Aarti) होती है। इसके बाद लगभग 4:30 बजे मंगला आरती होती है। इसके साथ अन्य कई आरतियां भी की जातीं हैं। इस दौरान मंदिर में भक्तों द्वारा दर्शन करने का सिलसिला जारी रहता है। इस समय भक्त अपनी श्रद्धा-भक्ति के साथ पूजन-अर्चन भी कर सकते हैं।
दोपहर 12:45 बजे मंदिर के कपाट भगवान श्रीकृष्ण (SriKrishna) एवं बलराम (Balram) सहित सभी देवी-देवताओं के भोग लगाने के बाद बंद कर दिये जाते हैं। इसके बाद मंदिर के कपाट सायंकाल 4:30 बजे खुलते हैं। रात्रि शयन आरती के बाद मंदिर के कपाट गर्मियों में रात्रि 8:45 बजे और सर्दियों में रात्रि 8:15 बजे बंद किये जाते हैं।
इस्कॉन मंदिर का विशेष आकर्षण (Special attraction of ISKCON temple)
वृंदावन का इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) पूरे विश्व में विख्यात है। यहां की खूबसूरती देखने के लिए पूरे विश्व से सभी तरह के लोग आते हैं। विभिन्न देशों के विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग भी इस मंदिर के आकर्षण को देखने के लिए आते हैं। यहां पर होने वाले भजन-कीर्तन में देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों से आने वालों के साथ विदेशी अंग्रेजों के जमकर नाचने से अलग ही माहौल हो जाता है।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि जहां कीर्तन-भजन का शोर शराबा होता है, वहीं इस मंदिर में शांतिपूर्ण माहौल का अलग अंदाज है। यहां आने वाले व्यक्ति बहुत शांति का अनुभव करते हैं और ध्यान आदि का पूर्ण आनन्द उठाते हैं।
वैसे तो पूरे वर्ष भर मंदिर में भ्रमण करने का अच्छा समय रहता है लेकिन जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के समय इस मंदिर की शोभा सबसे अलग होती है। बाहर से आने वाले यात्रियों को जन्माष्टमी के समय ही आना चाहिये।
इस मंदिर की पूजा-अर्चना एवं आरती सभी आकर्षक होतीं हैं लेकिन शाम की आरती का अपना विशेष ही आनन्द है।
वृंदावन स्थित इस्कॉन मंदिर (Iskcon Temple) पहुंचने के लिए सभी तरह के वाहन उपलब्ध हैं। दिल्ली और आगरा के मध्य होने के कारण दोनों जगहों पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं। जहां से दुनिया भर से लोग यहां आसानी से आ सकते हैं। इसके अलावा दिल्ली-मुम्बई रेलवे लाइन पर मथुरा रेलवे स्टेशन बहुत बड़ा रेलवे स्टेशन है, जहां से हर जगह के लिए रेलगाड़ियां मिल जातीं हैं। इसके अलावा वृंदावन सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है।
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