Wednesday, August 20

बृहस्पतिवार व्रत कथा (Brihaspativar Vrat Katha)

brihaspativar vrat katha

बृहस्पतिवार व्रत कथा (Brihaspativar Vrat Katha)

सनातन धर्म में बृहस्पतिदेव (Brihaspati Dev) को देवगुरु के रूप में पूजनीय माना जाता है। वे देवताओं के गुरु और आचार्य हैं, जो ज्ञान, धर्म, नीति तथा सद्गुणों के आदर्श हैं। पुराणों में वर्णित है कि वे देवताओं के कुलाधिपति इंद्र (Devraj Indra) के गुरु हैं और इंद्रलोक की रक्षा और कल्याण के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की है।

बृहस्पतिवार व्रत का महत्व

बृहस्पतिवार व्रत (Brihaspativar Vrat) का पालन करने से जीवन में धन, सुख, ज्ञान और प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है। यह व्रत विशेष रूप से विवाह, संतान सुख और पारिवारिक सुख-शांति के लिए किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ फल दे रहा हो, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी है।

साथ ही, यह व्रत आत्मबल को मजबूत करता है और व्यक्ति के भीतर सत्य, धर्म और करुणा जैसे गुणों का विकास करता है।

बृहस्पतिवार व्रत की मुख्य कथा

बहुत समय पहले एक नगर में एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। वह हर गुरुवार को बृहस्पतिदेव की पूजा करता था। उसकी पत्नी अत्यंत भौतिकवादी थी और दान-पुण्य में विश्वास नहीं करती थी। एक दिन किसी वृद्ध साधु ने ब्राह्मण को आशीर्वाद दिया, "तुम्हारे घर में कभी अन्न का अभाव नहीं होगा।"

पत्नी को यह बात अच्छी नहीं लगी और उसने सोचा कि यदि अन्न अधिक होगा तो उसे घर के काम में अधिक श्रम करना पड़ेगा। उसने धोखे से पूजा के दिन अन्न का दान बंद करवा दिया और बृहस्पति की मूर्ति को अपमानित किया। परिणामस्वरूप उनके घर में दरिद्रता छा गई और धन-संपत्ति नष्ट हो गई।

जब पत्नी को अपनी गलती का अहसास हुआ, तब उसने पुनः श्रद्धा से व्रत करना शुरू किया। धीरे-धीरे बृहस्पतिदेव की कृपा से उनका घर सुख-समृद्धि से भर गया।

 

अन्य प्रचलित कथाएँ

  1. राजकुमारी और पीले वस्त्र की कथा – एक राजा की पुत्री के विवाह में अड़चनें आ रही थीं। एक दिन एक ब्राह्मणी ने उसे बृहस्पतिवार का व्रत और पीले वस्त्र पहनने का उपाय बताया। उसने श्रद्धापूर्वक व्रत रखा और शीघ्र ही उसका विवाह एक योग्य राजकुमार से हो गया।
  2. गरीब व्यापारी की कथा – एक व्यापारी लगातार घाटे में जा रहा था। उसने बृहस्पतिवार को पीले अनाज का दान करना और व्रत रखना शुरू किया। कुछ ही महीनों में व्यापार में लाभ होने लगा और उसका जीवन बदल गया।

बृहस्पतिवार पूजा विधि और सामग्री

सामग्री – पीला वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, पीला पुष्प, पीली मिठाई, धूप, दीपक, जल, तुलसी पत्ता, कथा पुस्तक।

विधि

  • सुबह स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान को साफ कर बृहस्पतिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • जल, पुष्प, हल्दी और चने की दाल से पूजन करें।
  • व्रत कथा का पाठ करें।
  • पीली वस्तुओं का दान करें और परिवार में बांटें।

बृहस्पति पूजा से होने वाले लाभ

  • गृह कलह समाप्त होता है।
  • विवाह में आ रही बाधाएँ दूर होती हैं।
  • आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
  • संतान प्राप्ति और विद्या की वृद्धि होती है।
  • बृहस्पति ग्रह की अशुभता कम होती है।

बृहस्पति व्रत करने का सही तरीका

बृहस्पतिवार को नमक रहित भोजन करना श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन केले, बेसन से बनी मिठाई, चना दाल, हल्दी, पीला चावल आदि का सेवन करें। पीले वस्त्र पहनें और किसी जरूरतमंद को पीली वस्तु दान दें।

बृहस्पति व्रत का इतिहास

व्रत की परंपरा वैदिक काल से मानी जाती है। प्राचीन ऋषि-मुनि बृहस्पतिवार को गुरु उपासना और वेदपाठ के लिए विशेष दिन मानते थे। धीरे-धीरे यह परंपरा गृहस्थ जीवन में भी आ गई और महिलाओं ने इसे परिवार की समृद्धि के लिए अपनाया।

बृहस्पतिवार के दिन क्या करें

  • पीले वस्त्र पहनें।
  • गुरु मंत्र का जाप करें।
  • हल्दी व चने की दाल का दान करें।
  • केले के पेड़ की पूजा करें।
  • असत्य और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

बृहस्पति व्रत से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: क्या बृहस्पतिवार के व्रत में नमक खा सकते हैं?
उत्तर: परंपरा के अनुसार इस दिन नमक रहित भोजन करना उत्तम है।

प्रश्न 2: इस व्रत को कितने गुरुवार तक करना चाहिए?
उत्तर: सामान्यतः 16 गुरुवार या 3 वर्ष तक किया जाता है, लेकिन श्रद्धा से आजीवन भी कर सकते हैं।

प्रश्न 3: व्रत के दिन कौन सा रंग शुभ माना जाता है?
उत्तर: पीला रंग अत्यंत शुभ और मंगलकारी है।

प्रश्न 4: क्या पुरुष भी यह व्रत रख सकते हैं?
उत्तर: हाँ, यह व्रत स्त्री-पुरुष सभी के लिए समान रूप से लाभकारी है।


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