सनातन धर्म में बृहस्पतिदेव (Brihaspati Dev) को देवगुरु के रूप में पूजनीय माना जाता है। वे देवताओं के गुरु और आचार्य हैं, जो ज्ञान, धर्म, नीति तथा सद्गुणों के आदर्श हैं। पुराणों में वर्णित है कि वे देवताओं के कुलाधिपति इंद्र (Devraj Indra) के गुरु हैं और इंद्रलोक की रक्षा और कल्याण के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की है।
बृहस्पतिवार व्रत (Brihaspativar Vrat) का पालन करने से जीवन में धन, सुख, ज्ञान और प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है। यह व्रत विशेष रूप से विवाह, संतान सुख और पारिवारिक सुख-शांति के लिए किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिनकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ फल दे रहा हो, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी है।
साथ ही, यह व्रत आत्मबल को मजबूत करता है और व्यक्ति के भीतर सत्य, धर्म और करुणा जैसे गुणों का विकास करता है।
बहुत समय पहले एक नगर में एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। वह हर गुरुवार को बृहस्पतिदेव की पूजा करता था। उसकी पत्नी अत्यंत भौतिकवादी थी और दान-पुण्य में विश्वास नहीं करती थी। एक दिन किसी वृद्ध साधु ने ब्राह्मण को आशीर्वाद दिया, "तुम्हारे घर में कभी अन्न का अभाव नहीं होगा।"
पत्नी को यह बात अच्छी नहीं लगी और उसने सोचा कि यदि अन्न अधिक होगा तो उसे घर के काम में अधिक श्रम करना पड़ेगा। उसने धोखे से पूजा के दिन अन्न का दान बंद करवा दिया और बृहस्पति की मूर्ति को अपमानित किया। परिणामस्वरूप उनके घर में दरिद्रता छा गई और धन-संपत्ति नष्ट हो गई।
जब पत्नी को अपनी गलती का अहसास हुआ, तब उसने पुनः श्रद्धा से व्रत करना शुरू किया। धीरे-धीरे बृहस्पतिदेव की कृपा से उनका घर सुख-समृद्धि से भर गया।
सामग्री – पीला वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, पीला पुष्प, पीली मिठाई, धूप, दीपक, जल, तुलसी पत्ता, कथा पुस्तक।
विधि –
बृहस्पतिवार को नमक रहित भोजन करना श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन केले, बेसन से बनी मिठाई, चना दाल, हल्दी, पीला चावल आदि का सेवन करें। पीले वस्त्र पहनें और किसी जरूरतमंद को पीली वस्तु दान दें।
व्रत की परंपरा वैदिक काल से मानी जाती है। प्राचीन ऋषि-मुनि बृहस्पतिवार को गुरु उपासना और वेदपाठ के लिए विशेष दिन मानते थे। धीरे-धीरे यह परंपरा गृहस्थ जीवन में भी आ गई और महिलाओं ने इसे परिवार की समृद्धि के लिए अपनाया।
प्रश्न 1: क्या बृहस्पतिवार के व्रत में नमक खा सकते हैं?
उत्तर: परंपरा के अनुसार इस दिन नमक रहित भोजन करना उत्तम है।
प्रश्न 2: इस व्रत को कितने गुरुवार तक करना चाहिए?
उत्तर: सामान्यतः 16 गुरुवार या 3 वर्ष तक किया जाता है, लेकिन श्रद्धा से आजीवन भी कर सकते हैं।
प्रश्न 3: व्रत के दिन कौन सा रंग शुभ माना जाता है?
उत्तर: पीला रंग अत्यंत शुभ और मंगलकारी है।
प्रश्न 4: क्या पुरुष भी यह व्रत रख सकते हैं?
उत्तर: हाँ, यह व्रत स्त्री-पुरुष सभी के लिए समान रूप से लाभकारी है।
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