भगवान हनुमान (Lord Hanuman) के बारे में रोचक तथ्य

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भगवान हनुमान (Lord Hanuman) के बारे में रोचक तथ्य

हनुमान (Hanuman) का नाम हनुमान ऐसे पड़ा।

बचपन में एक दिन पवन-पुत्र हनुमान (Pawan Putra Hanuman) ने आकाशमण्डल में सूर्य को देखा और उसे कोई बड़ा सा लाल फल जानकर उसे खाने की अभिलाषा लेकर आकाश की ओर उड़े और सूर्य को निगलने की कोशिश की। देवताओं के राजा इंद्र (Devraj Indra) ने हनुमान के जबड़े (हनु) पर वज्र से प्रहार किया, इस प्रकार हनुमान नाम को प्रेरित किया।

हनुमान (Hanuman) अपनी शक्तियां इस कारण से भूल गए ।

बचपन  में हनुमानजी (Hanuman ji) के नटखट व्यव्हार करना जारी रखा जिस कारण शक्तिशाली इंद्र (Lord Indra) ने उन्हें अपनी अनंत शक्तियों को भूलने का श्राप दिया, जैसे कि उड़ने की क्षमता या असीम रूप से बड़ा हो जाना ।

ऐसे ज्ञात हुआ हनुमान (Hanuman) को अपनी शक्तियों का।

जब हनुमान (Hanuman) वानरों के साथ माता सीता (Maata Sita) को ढूंढ़ते हुए समुद्र तट पर पहुंचे तब उनको उनकी अनंत शक्तियों से ब्रह्मा (Bhagwan Brahma) पुत्र जांबवन्त (Jaambvant) ने स्मरण कराया जिसके बाद हनुमान ने एक ही छलांग में समुद्र लांग लिया और लंका पहुँच गए ।

ब्रह्मचारी होते हुए भी हनुमान (Hanuman) के एक पुत्र थे ।

हालाँकि वे एक ब्रह्मचारी थे, भगवान हनुमान (Lord Hanuman) का एक पुत्र था – मकरध्वज (Makardhwaja) । हनुमान के पुत्र मकरध्वज का जन्म उसी नाम की एक शक्तिशाली मछली से हुआ था, जब हनुमान (Hanuman) ने अपनी पूंछ से पूरी लंका को जलाने के बाद अपने शरीर को ठंडा करने के लिए समुद्र में डुबकी लगाई थी। ऐसा कहा जाता है कि उनके पसीने को मछली ने निगल लिया था और इस तरह मकरध्वज (Makardhwaja) का जन्म हुआ था।

इसलिए दिया था भगवान् राम (Lord Rama) ने हनुमान को मृत्युदंड ।

कहा जाता है की एक बार हनुमान ने दरबार में विश्वामित्र (Vishwamitra) का अभिवादन नहीं किया जिससे विश्वामित्र नाराज हो गए। फिर उन्होंने राम (Lord Rama) से हनुमान को बाणों से मृत्युदंड देने के लिए कहा। राम विश्वामित्र (Vishwamitra) की बात सुनने के लिए बाध्य थे क्योंकि वे उनके गुरु थे। इस प्रकार, अगले दिन उनहोने अपने सैनिकों से हनुमान पर बाण चलाकर मृत्युदंड देने को कहा। लेकिन बाणों ने हनुमान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया क्योंकि वह राम के नाम का जाप करते रहे थे। भगवान राम (Lord Rama) का ब्रह्मास्त्र भी हनुमान के जप के विरुद्ध किसी काम का नहीं था। बाद में पता चला कि नारद (Narad) ने हनुमान को उकसाया था और उन्हें विश्वामित्र को छोड़कर सभी ऋषियों का अभिवादन करने के लिए कहा था।

हनुमान (Hanuman) और कुंती पुत्र भीम (Bhima) भाई थे ।

भीम (Bhima) भी वायु (पवनों के स्वामी) के पुत्र थे। एक दिन जब भीम (Bhima) अपनी पत्नी के लिए फूलों की तलाश कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक वानर अपनी पूंछ के साथ रास्ता में सो रहा है। उसने उसे अपनी पूंछ हटाने के लिए कहा। लेकिन वानर ने ऐसा नहीं किया और भीम को उसे हटाने को कहा। भीम को अपने बल का बहुत घमंड था। फिर भी, वह वानर की पूंछ को हिला या उठा नहीं सका। तब उन्होंने ज्ञात हुआ  किया कि यह कोई साधारण वानर नहीं था। वह कोई और नहीं बल्कि हनुमान (Hanuman) थे। भीम के अहंकार को कम करने के लिए हनुमानजी (Hanumnaji) ने यह किया।

इसलिए चीर डाली हनुमान (Hanuman) ने अपनी छाती ।

जब सीता माता ( Maata Sita) ने हनुमान को उपहार के रूप में एक सुंदर मोती का हार दिया तो उन्होंने विनम्रता से यह कहते हुए मना कर दिया कि वह राम के नाम के बिना कुछ भी स्वीकार नहीं करते हैं। अपनी बात को साबित करने के लिए, उन्होंने अपनी छाती को चीर कर श्री राम (Shri Rama) और सीता माता (Sita maata) की छवि दिखाई।

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1 Comments:

  1. Anshuri Anshuri says:

    यह वाकई एक शानदार लेख है जो मेरी समझ और भगवान हनुमान के प्रति मेरा समर्पण बढ़ा दिया।

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