आइए आपको प्रथम वंदना गणपति आरती (Ganpati Aarti) अर्थ सहित बताते है।
गज का सिर धारण करने के कारण गणेश जी को गजानन भी कहते है। हर पूजा में गजानन महाराज आरती (Gajanan Maharaj Aarti) का विशेष महत्व है।
।। ॐ गम गणपत्यें नम: ।।
।। जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
माता जाकी पारवती, पिता महादेवा ।।
गणेश जी महाराज आपकी जय हो, जय हो, जय हो।
माता पार्वती आपकी माता और महादेव भगवान शिव आपके पिता है॥
।। एकदन्त, दयावन्त, चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी ।।
हे दयावान गणेश जी महराज, आपका एक दांत और चार भुजाएं है। आपके माथे पर सिंदूर का तिलक लगा हुआ है और आप मूषक की सवारी करते है। जी हां, मूषक (चूहा) आपका वाहन है।
।। पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा ।।
भक्त गणपति आरती (Ganpati Aarti) और पूजा करते समय करते समय प्यार और भक्तिभाव से पान के पत्ते, फूल और मेवे चढ़ाते है। गजानन महाराज आरती (Gajanan Maharaj Aarti) के बाद गणपति को प्रिय मोदक (लडडूओ) का भोग लगाया जाता है। दुनिया के सारे सन्त अपना जीवन आपकी सेवा में अर्पण करते है॥
।। जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
माता जाकी पारवती, पिता महादेवा ।।
जय गणेश, जय गणेश देवा (Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva) आपकी जय हो। आप माता पार्वती और महादेव जी के शक्तिशाली पुत्र है।।
।। अंधे को आँख देत, कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
गजानन महाराज आप अंधे भक्त को आंख, कोढ़ी को बीमारी से मुक्ति, बांझन को औलाद का सुख और गरीब को माया (धन) का सुख का वरदान देते है।।
।। सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा
माता जाकी पारवती, पिता महादेवा ।।
हम सब आपकी शरण में आए है, दिन और रात आपकी पूजा और भक्ति में लीन रहते है, हमारी सेवा को सफ़ल कीजिए और हमें सफलता का आशीर्वाद दीजिए। आखिरकार आप माता पार्वती और भगवान शिव के शक्तिशाली पुत्र है॥
।। जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
माता जाकी पारवती, पिता महादेवा ।।
गणेश जी महाराज आपकी जय हो, जय हो, जय हो।
आप माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र है॥
।। दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
हे शंभु के सूत, हम दीनन की लाज रखना, जिस भी कामना से आपका ध्यान करें, आप सभी दीन बंधुओं का सम्मान रखे और समाज में उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करे। उसे आप हमेशा पूरी करते है, गजानन जी महाराज आप पर बलिहारी जाऊं। हे विश्व के पालनकर्ता, आप हम सभी की इच्छाओं को पूर्ण करके हमारा उद्धार करें।
।। सूरश्याम शरण आये सुफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।।
हे श्री गणेश, हम सभी आपकी सुबह-शाम आराधना व भक्ति करते है। आपके माता-पिता पार्वती व शिव हैं। देवों में सर्वप्रथम देवों के देव महादेव गौरीशंकर के पुत्र गणेश जी को पूजने का विधान है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान श्री गणपति आरती (Ganpati Aarti) और पूजा की जाती है क्योंकि गणपति सफलता देने वाले और विघ्नों को दूर करने वाले माने जाते है।
गणपति जी की दूसरी आरती
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची
सुख देने वाले, सभी दुखों को हरने वाले, विघ्नहर्ता गजानन जी महाराज सभी दुखों को दूर करते है। हमें सभी मुश्किलों से मुक्त करते है और आशीर्वाद के रूप में हर जगह अपना प्यार फैलाते है।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची
कंठी झलके माल मुक्ता फलांची।
जिनके शरीर पर सुंदर लाल-नारंगी रंग है और गले में अति-सुन्दर मोतियों की माला है।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति, जय देव जय देव।
जय गणेश जी, जय गणेश जी, जय हो मंगल मूर्ति की, जिनके दर्शन मात्र से ही हमारी सारी कामनाओं की पूर्ति हो जाती है उन भगवान गणेश जी की जय हो।
रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हे गौरी पुत्र, ये रत्नों से जडित मुकुट आपके लिए ही है। आपके शरीर पर चन्दन का लेप लगा हुआ है और मस्तक भाल पर लाल रंग का तिलक है।
हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा
रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।
हीरो से जड़ा हुआ सुंदर मुकुट आपकी शोभा बढ़ा रहा है। रुनझुन-रुनझुन करती आपकी चरणों की पायल की ध्वनि बहुत अच्छी लग रही है।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति, जय देव जय देव।
जय गणेश जी, जय गणेश जी, जय हो मंगल मूर्ति की, जिनके दर्शन मात्र से ही हमारी सारी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है उन भगवान गणेश जी की जय हो।
लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना
सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना
भगवान आपका पेट बड़ा है और आपने पीली धोती पहनी हुई है। आपकी सरल और मुड़ी हुई सूंड है और आपकी तीन आँखे है।
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना।
लेखक रामदास कहते है कि मैं आपकी साधना में ये लिख रहा हूं और आपसे वंदना कर रहा हूं कि संकट के समय में आप सदैव हमारी रक्षा और सहायता करना।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति, जय देव जय देव।
जय गणेश जी, जय गणेश जी, जय हो मंगल मूर्ति की, जिनके दर्शन मात्र से ही हमारी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है उन गणेश जी महाराज की जय हो।
जय गणेश, जय गणेश देवा (Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva) आपकी महिमा अपरंपार है। गणपति आरती (Ganpati Aarti) और पूजा करने से इंसान को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। चतुर्थी के दिन गणेश पूजन का विशेष फल प्राप्त होता है। बैकुंठ चतुर्दशी (Vaikuntha Chaturdashi) के दिन पूजा के समय ॐ जय जगदीश हरे (Om Jai Jagdish hare) और जय गणेश जय गणेश देवा (Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva) आरती जरूर करें। बुद्धवार का दिन श्री गणेश की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। पूरी श्रद्धा और भक्ति से विघ्नहर्ता की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते है।
पूरब पश्चिम विशेष -
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