सोमवार का दिन भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस दिन व्रत रखने और सोमवार व्रत कथा (Somvar Vrat Katha) सुनने से शिवजी (Shivji) की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि यह व्रत विवाह में आ रही बाधाएँ दूर करता है, स्वास्थ्य और मानसिक शांति देता है। सोमवार व्रत (Somwar Vrat) में प्रातः स्नान कर शिवलिंग पर जल, गंगाजल, दूध, बेलपत्र अर्पित करना, मंत्रजप और कथा श्रवण विशेष फलदायी माना जाता है।
सनातन धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन का एक विशेष देवता से संबंध है, और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना गया है। सोमवार व्रत कथा सुनना और व्रत रखना केवल एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि भक्ति, संयम और आत्मशुद्धि की साधना है। मान्यता है कि सोलह सोमवार (Solah Somwar) का व्रत करने से विवाह, संतान, स्वास्थ्य और धन संबंधी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
शिवजी को “भोलेनाथ” और “आशुतोष” कहा जाता है, जो अल्प प्रयास से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सोमवार को उनका पूजन करने से वह शीघ्र आशीर्वाद देते हैं और जीवन की कठिनाइयाँ सरल हो जाती हैं।
सोमवार व्रत की मुख्य पौराणिक कथा — निर्धन ब्राह्मण का उद्धार
बहुत समय पहले एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण और उसकी धर्मपत्नी रहते थे। वे अत्यंत भक्तिपरायण थे, लेकिन आर्थिक स्थिति दयनीय थी। एक दिन ब्राह्मण जंगल में लकड़ी काटने गया, जहाँ उसकी भेंट एक साधु से हुई। साधु ने कहा —
"वत्स, यदि तुम 16 सोमवार का व्रत श्रद्धा और नियम से करोगे, तो तुम्हारे जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे।"
ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने निश्चय किया कि वे अगले सोमवार से व्रत आरंभ करेंगे। उन्होंने सूर्योदय से पहले स्नान कर शिवलिंग की स्थापना की, गंगाजल और बिल्वपत्र अर्पित किए, और दिनभर भजन-कीर्तन किया।
जैसे-जैसे सोमवार बीतते गए, उनके घर की स्थिति बदलने लगी। 16वें सोमवार को नगर के राजा ने ब्राह्मण को दरबार में बुलाया और राजपुरोहित का पद देकर धन-संपदा से विभूषित किया। यह कथा आज भी भक्तों को प्रेरित करती है कि सोमवार व्रत कथा (Somwar Vrat Katha) केवल श्रद्धा ही नहीं, बल्कि जीवन में आशा और परिवर्तन का भी प्रतीक है।
एक गाँव में एक कन्या थी, जो विवाह योग्य थी परंतु अच्छे वर का प्रस्ताव नहीं आ रहा था। गाँव की एक वृद्ध महिला ने उसे 16 सोमवार का व्रत करने की सलाह दी। कन्या ने व्रत आरंभ किया — दिनभर उपवास, शिवजी का पूजन, कथा श्रवण, और रात में मंत्र जप।
16वें सोमवार के बाद, उसी सप्ताह एक योग्य युवक का रिश्ता आया, जो न केवल सुशील और शिक्षित था, बल्कि शिवभक्त भी था। विवाह अत्यंत शुभ मुहूर्त में संपन्न हुआ। इस घटना से गाँव में यह विश्वास और गहरा हो गया कि सोलह सोमवार का व्रत विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करता है।
भक्तों के अनुभव
अन्य रोचक प्रसंग
शास्त्र कहते हैं — सोमवार का संबंध चंद्रदेव से है, जो मन के स्वामी माने गए हैं। चंद्रदेव ने शिवजी की तपस्या करके रोग और संकट से मुक्ति पाई थी। तभी से यह दिन महादेव का प्रिय माना जाता है। सोमवार व्रत कथा इसी विश्वास को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ा रही है।
प्रश्न 1: क्या यह व्रत बिना कथा सुने किया जा सकता है?
उत्तर: कथा सुनना या पढ़ना आवश्यक है, क्योंकि यह व्रत का मुख्य अंग है।
प्रश्न 2: क्या व्रत केवल 16 सोमवार तक ही करना चाहिए?
उत्तर: 16 सोमवार विशेष फलदायी है, परंतु आप जीवनभर सोमवार व्रत कर सकते हैं।
प्रश्न 3: व्रत के दौरान क्या पूर्ण उपवास आवश्यक है?
उत्तर: संभव हो तो पूर्ण उपवास करें, अन्यथा फलाहार लें।
प्रश्न 4: क्या शिवलिंग पर तुलसी चढ़ा सकते हैं?
उत्तर: नहीं, तुलसी शिवलिंग पर अर्पित नहीं की जाती।
प्रश्न 5: क्या यह व्रत नास्तिक भी कर सकता है?
उत्तर: हाँ, यदि श्रद्धा और सद्भावना हो तो शिवजी कृपा करते हैं।