गोवर्धन पूजा (Govardhan puja)

Govardhan puja

गोवर्धन पूजा (Govardhan puja)

भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को अर्थात् दीवाली (Diwali) के अगले दिन होती है। प्रकृतिदत्त उपहारों का सम्मान करने के लिए यह पर्व प्राचीन काल से चला आ रहा है। इस पर्व में जहां अन्न देने वाले और स्वास्थ्यवर्धन में काम आने वाले गौवंश यानी गऊ माता (Gau mata) और बछड़े (Bachhade) का पूजन किया जाता है। वहीं गिरिराज (Giriraj) का भी पूजन किया जाता है। इसी दिन नई फसलों से प्राप्त अनाज भगवान  (Bhagwan) को समर्पित करने के लिए अन्नकूट महोत्सव (Annakut mahotsav)  भी मनाया जाता है। 

गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व (Religious Significance Govardhan puja)

गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) और अन्नकूट महोत्सव (Annakut mahotsav) की पूजा विधि-विधान से करने वाले को लम्बी आयु, धन-वैभव, सम्पदा आदि प्राप्त होती है। यह पर्व मनुष्य की दरिद्रता को मिटाता और उसके जीवन को सुखी बना देता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दुखी रहने वाला व्यक्ति पूरे वर्ष दुखी ही रहता है। इसलिये सभी मनुष्यों से इस दिन सुखी रहने को कहा जाता है। गोवर्धन पूजा से घर-परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होती है तथा गौरस में भी बढ़ोतरी होती है।

गोवर्धन की कथा (Story of Govardhan)

द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण (Krishna God) के कहने पर ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) की पूजा शुरू की थी। इससे इद्र देव (Indra dev) नाराज हो गये और उन्होंने अपना कोप बरसाते हुए ब्रज (Brij) में मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। इसे देख श्रीकृष्ण (Srikrishna) ने गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठा लिया। इंद्र देव (Indra dev) लगातार सात दिन वर्षा करते रहे। इसके बाद जब उन्हें ज्ञात हुआ कि वह विष्णु भगवान के अवतार श्रीकृष्ण (Srikrishna) से युद्ध कर रहे हैं तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और क्षमा मांगते हुए उनकी पूजा अर्चना की। उसके बाद से शुरू हुई गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की परम्परा आज तक चली आ रही है। 

इस साल कब है गोवर्धन पूजा का पर्व (When is the festival of Govardhan Puja this year?)

भारतीय पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 13 नवम्बर को दोपहर 2:56 बजे से शुरू होगी जो 14 नवम्बर को 2:36 बजे तक चलेगी। चूंकि गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) सुबह की जाती है। इसलिये यह पूजा 14 नवम्बर को ही की जायेगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:18 बजे से 8:36 बजे तक है। सायंकाल की पूजा गौधूलि बेला में की जाती है। 

किस प्रकार करें गोवर्धन पूजा (How to perform Govardhan Puja)

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के दिन सर्वप्रथम प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात गऊ माता व बछड़े का नहला-धुला कर उनकी पूजा करें। उन्हें फूल माला पहनायें, गुड़ व चावल खिलायें तथा आरती करें। इसके बाद घर के आंगन को गाय के गोबर से लीप कर शुद्ध कर लें। इसके बाद उसमें गिरिराज गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) यानी लेटे हुए व्यक्ति के आकार की प्रतिमा गोबर से बनाएं। इस प्रतिमा के आस पास गाय-बछड़े, गोप-गोपिकाओं की प्रतिमांएं भी गोबर से बनाएं। इनके मध्य में श्रीकृष्ण (Srikrishna) की प्रतिमा को रखें। इसके  बाद चंदन, रोली, अक्षत, धूप-दीप, खील-बताशा आदि से पूजा करें। पूजा के बाद अन्नकूट का भोग लगायें।

पूजा आरती के बाद गोवर्धन महाराज (Govardhan Maharaj) की सात परिक्रमा करें।
शाम को गौधूलि बेला के समय गोबर से बनी सभी आक्रतियों को इकट्ठा करके गोबर का पर्वतनुमा एक पहाड़ बनायें और उसमें करवाचौथ (Karava Choth) के दिन करवा में लगी सींकों को खोंस दें। साथ ही गोबर के पर्वत में एक आला बनायें जिसमें दीपक जलाकर मुख्य द्वार के दाहिनी ओर रख दें।  

 

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