चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja)
चित्रगुप्त पूजा भाई दूज के दिन मनाई जाती है। भाई दूज (Bhai Dooj) का पर्व कार्तिक मॉस के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीय (Yam Diwitya) भी कहते हैं। चित्रगुप्त जी को यमराज (Yamraj) का सहयोगी माना जाता है। कहा जाता है कि चित्रगुप्त जी सभी के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Pooja) एक ऐसा त्यौहार है जिसे अधिकतम कायस्थ समाज (Kayastha Samaj) के लोग ही मनाते हैं, क्योंकि वे चित्रगुप्त जी को अपना ईष्ट देवता मानते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी (Lord Brahma) ने अपने पुत्र को बुलाकर कहा की वे किसी विशेष प्रयोजन से समाधी में जा रहे हैं और इस दौरान उन्हें (उनके पुत्र) को सृष्टि की रक्षा करनी है। इतना कह के ब्रह्मा जी ११ हज़ार वर्ष समाधी में लीन हो गए। जब समाधी टूटी तो उन्होंने अपने सामने एक दिव्य पुरुष खड़ा देखा जिसके हाथ में कलम और दावत थी। पूछने पर पता चला कि वह पुरुष ब्रह्मा जी से ही उत्पन्न हुआ है। ब्रह्मा जी ने उसे कहा कि “कायस्थ” तुम्हरी संज्ञा है और धरती पर तुम “चित्रगुप्त” (Chitragupt) नाम से प्रसिद्ध होगे और तुम यमराज (Yamraj) के साथ धर्म-अधर्म के विचार पर काम करोगे। इस प्रकार चित्रगुप्त का जन्म हुआ।
सबसे पहले पूजा का स्थान साफ़ कर एक चौकी रखें और उस पर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर चित्रगुप्त जी की तस्वीर रखें।
दिया जलाकर चन्दन, हल्दी, अक्षत, दूब, फूल, धूप, आदि से चित्रगुप्त जी की पूजा करें।
फल, पान, सुपारी और मिठाई के साथ-साथ दूध, घी, गंगाजल और गुड़ से बना पंचामृत भोग लगायें।
अपनी कलम, किताब आदि पर मोली बांधें और रोली, अक्षत से पूजा करें और चित्रगुप्त जी के सामने रख दें।
इसके बाद एक सफ़ेद कागज़ पर रोली से स्वास्तिक बनायें और कलम से इष्ट देव का नाम लिखें।
उसी कागज़ पर खील और बताशे रख कर चित्रगुप्त जी को अर्पित करें और हवन करें।
इस वर्ष २०२३ में चित्रगुप्त पूजा १४ नवंबर को मनाई जाएगी।
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