सुविचार (30-04-2022)

सुविचार (30-04-2022)

प्रेम और नफ़रत के तासीर में बुनियादी फर्क है। नफ़रत शुद्ध व्यापार है जबकि प्रेम एक अहसास है।

प्रेम न बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाई ।

राजा परजा जेहि रुचे, सीस देहि ले जाई ॥

भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं, प्रेम खेत में नहीं उपजता, प्रेम बाज़ार में भी नहीं बिकता | चाहे कोई राजा हो या साधारण प्रजा, यदि प्यार पाना चाहते हैं तो वह आत्म बलिदान से ही मिलेगा | त्याग और समर्पण के बिना प्रेम को नहीं पाया जा सकता | प्रेम गहन-सघन भावना है, कोई खरीदी / बेचे जाने वाली वस्तु नहीं |

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