मुडकोपनिषद् में एक प्रसंग है। महाशालाधिपति शौनक अंगिरस के पास विधिवत् शिष्य रूप में गए और उनसे पूछाː “हे भगवन्! क्या है जिसे जान लेने के पश्चात् सब कुछ ज्ञात हो जाता है? अंगिरस शौनक से कहते हैं, “ दो विद्याएं जानने योग्य हैं, जिन्हें कि ब्रह्मविदों ने बताया है – एक परा, दूसरी अपरा। आधुनिक युग में युग प्रवर्तक, मानवतावादी चिंतक और वेदांत के विख्यात व प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू स्वामी विवेकानंद से उनके एक शिष्य ने ऐसा ही प्रश्न पूछ लिया। जबाव में स्वामी जी ने कहा था – प्राण को पकड़ो। बड़ा शक्तिशाली है। जो प्राण को पकड़ लेते हैं, वे संसार की जितनी शारीरिक व मानसिक शक्तियां हैं, सबको पकड़ लेते हैं। पर यह पकड़ में आए कैसे? स्वामी जी ने उत्तर दिया – प्राणायाम की शक्ति से।
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