नाग पंचमी (Nag Panchami)

Nag Panchami

नाग पंचमी (Nag Panchami)

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन का महीना व्रत और त्योहारों का महीना (Vrat aur Tyohar ka mahina) है। इस पवित्र महीने में शिवरात्रि (Shivratri), हरितालिका तीज (Haritalika teej), नाग पंचमी (Nag Panchami), और रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) जैसे कई त्योहार मनाए जाते है। 

सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी (Nag Panchami) के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर नाग पंचमी का दिन हरियाली तीज (Hariyali Teej) के दो दिन बाद पड़ता है। वर्तमान में नाग पंचमी अंग्रेजी कैलेंडर में जुलाई और अगस्त के महीने में आती है। इस साल नाग पंचमी 09 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी।

नाग पंचमी पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा मनाई जाने वाली नाग देवताओं की एक पारंपरिक पूजा है। ब्रह्मा जी (Bhagwan Brahma) के वचन के अनुसार, श्रावण माह की शुक्ल पंचमी को ही नाग वंश की रक्षा (Naag Vansh ki Raksha)  हुई थी इसलिए हर साल इस तिथि को ही नाग पंचमी मनाई जाती है। महिलाएं इस दिन नाग देवता की पूजा (Naag Devta ki Puja) करती हैं और सांपों को दूध चढ़ाती हैं। महिलाएं भी अपने भाइयों और परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं।

नागों में शेषनाग के नाम के 5 कुल थे। अनंत, वासुकी, तक्षक, पिंगला और कर्कोटक, इनमें से शेषनाग नागों का पहला कुल माना जाता है. इसी तरह आगे चलकर वासुकि हुए, जो पूरे सच्चे भाव से महादेव (Bhagwan Mahadev) की भक्ति किया करते थे, वासुकी की श्रद्धा-भाव और पूर्ण भक्ति देखकर महादेव बेहद खुश हुए और वासुकी को अपने गले में धारण करने का वरदान दिया। शिव की भक्ति (Shiv ki Bhakti) से मिले इस वरदान के कारण ही वासुकी महादेव के गले में लिपटा हुआ नजर आतें है ।

नागपंचमी का धार्मिक महत्व (Significance of Nag Panchami)

पौराणिक काल से ही भारतीय संस्कृति में सांपों को देवताओं की तरह पूजा जाता है। हिंदू धर्म में देवताओं और नाग देवता (Naag Devta) का विशेष संबंध बताया जाता है। नाग देवता भगवान शिव के गले में विराजते है तो वहीं भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) शेषनाग की शैय्या पर विराजते है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना (Naag Devta ki Aradhna) का विशेष महत्व है। नाग देवता की पूजा करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद मिलता है। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस दिन नाग पूजा करने से सर्प भय भी दूर होता है।

कालसर्प दोष के उपचार के लिए भी नाग पंचमी का दिन बहुत शुभ होता है।

नाग पंचमी की कथा (Story of Nag Panchami)

पौराणिक कथाओं के अनुसार नाग देवता ने एक बार एक सेठ की पुत्रवधु जिसका कोई भाई नहीं था, उसका धर्म भाई बनकर अपनी धर्म बहन की रक्षा की थी और उसकी हर इच्छा पूरी की थी। तभी से महिलाएं नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा (Naag Devta ki Puja) करके अपने भाइयों तथा परिवार की सुरक्षा के लिये नाग देवता से प्रार्थना करती है। कई जगह इस दिन व्रत किया जाता है और कहीं ठंडा खाना खाया जाता है।

नाग पंचमी की पूजा की विधि (Method of Workship)

नाग पंचमी के दिन सबसे पहले घर के दरवाजे पर सांप की आकृति बनाएं (आकृति मिट्टी की भी हो सकती है या कागज पर तस्वीर भी बना सकते है) फिर नागदेवता को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। फिर नाग पंचमी की कथा पढ़ें और नाग देवता को दूध का भोग लगाएं।

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