गायत्री हवन (Gayatri Havan)

Gayatri Havan

गायत्री हवन (Gayatri Havan)

गायत्री हवन (Gayatri Havan) गायत्री मां (Gayatri Maa) को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यज्ञ हवन (Yagya Havan) या हवन पूजा (Havan Pooja) भक्तों द्वारा अपने उपासक की आराधना का एक तरीका है। यज्ञ हवन और हवन पूजा आपके मन, अंतरात्मा और यहां तक की वातावरण को भी शुद्ध कर देते है। हवन, अग्नि के द्वारा देवी देवताओं को उनकी प्रिय वस्तु पहुंचाने का एक तरीका है। 

गायत्री हवन के मंत्र (Gayatri Havan Mantra)

गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra)

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा। ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

माँ गायत्री के हवन की विधि (Method of Havan for Maa Gayatri)

पंडित वैभव जोशी (Pandit Vaibhav Joshi) के अनुसार, हवन करने से पूर्व स्वच्छता का ध्यान रखें। हवन पूजा (Havan Pooja) और यज्ञ हवन (Yagya Havan) आदि सभी धार्मिक कार्य नहा-धोकर, साफ कपड़े पहनकर, स्वच्छ और शुद्ध मन से करने चहिए।

हवन (Hawan) के लिए सबसे पहले अग्नि की स्थापना की जाती है। फिर आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर प्रज्वलित करके मां गायत्री का आह्वान किया जाता है। दीप प्रज्वलित करने से लेकर भोग लगाने तक हर कार्य मंत्र उच्चारण के जरिए किया जाता है और फिर मंत्र उच्चारण के साथ अनेकों आहुतियां दी जाती है। अंत में पूर्णाहुति के साथ हवन संपन्न किया जाता है।

गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) का जाप पूरा होने के बाद हवन कुंड में शुद्ध हवन सामग्री, गाय का घी और गायत्री मंत्र की 24 या 108 आहुति का यज्ञ करने से हर प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। 

प्राचीन काल में मिट्टी की बेदी पर ईटों से हवन कुंड बना कर हवन किए जाते थे लेकिन आज पर समय और जगह की कमी होने के कारण धातुओं के बने बनाए हवन कुंड में हवन किए जाते है। 

माँ गायत्री के पूजन की विधि (Worship Method of Maa Gayatri)

साक्षात गायत्री मां (Maa Gayatri) की पूजा करने के लिए मंदिर में महाप्रज्ञा-ऋतम्भरा गायत्री का प्रतीक चित्र पूजा वेदी पर स्थापित करें तथा साथ में कलश और घी का दीपक भी स्थापित करें। अब मंत्रजाप के जरिए गायत्री मां का आह्वान करे और महसूस करें कि आपकी प्रार्थना, श्रद्धा से प्रसन्न होकर माँ गायत्री की शक्ति पूजा स्थल पर अवतरित हो रही है। विधिपूर्वक श्रद्धा भावना के साथ की गयी गायत्री मां की उपासना बहुत फलदायी है। 

शुक्रवार को देवी की आराधना के लिए प्रमुख दिन होता है, तो गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) के जाप और हवन से उनकी आराधना करें।

गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) का जाप और हवन का उपयुक्त समय

पहला समय- सूर्योदय से थोड़ी देर पहले शुरू करके सूर्योदय के बाद तक। 

दूसरा समय- दोपहर का। 

तीसरा समय- सायंकाल में सूर्यास्त के कुछ देर पहले शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक का समय अच्छा माना गया है।

गायत्री मंत्र जाप की संख्या (Number of Gayatri Mantra)

गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) का जाप कम से कम 24 मिनट, तीन माला या 11 माला फेरकर करना चाहिए। 

गायत्री हवन के फायदे (Benefits of Gayatri Havan)

1000 गायत्री मंत्रों का जाप और दूध, दही, घी एवं शहद को मिलाकर किए गए हवन से चेचक, आंखों के रोग एवं पेट के रोग समाप्त हो जाते है।

गायत्री मंत्रों के साथ नारियल का चूरा एवं घी का हवन करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है। नारियल के चूरे में यदि शहद मिला दिया जाए तो सौभाग्य में वृद्धि होती है।

लक्ष्मी की इच्छा रखने वाले मनुष्यों को गायत्री के साथ रक्त कमल के पुष्पों से हवन करना चाहिए। इससे शोभा, पुष्टि और कीर्ति भी मिलती है।

गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) में सभी वेदों का सार माना जाता है। शास्‍त्रों के अनुसार, मां गायत्री वेदमाता है और उनकी उपासना से मनुष्‍य के सारे पाप नष्‍ट हो जाते है। यज्ञ और हवन हम इंसानों द्वारा किया जाने वाला इस सृष्टि पर सर्वश्रेष्ठ कर्म है।

 

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