नवग्रह हवन (Navagraha Havan)

Navagraha Havan

नवग्रह हवन (Navagraha Havan)

नवग्रह - "नौ ग्रह" सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। 
जिनकी चाल दशा जीवन में सुख-शांति के लिए ठीक होनी बहुत ज़रूरी है। 

नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra)

ऊँ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।। 

जो कोई भी इस नवग्रह मंत्र का हर रोज 108 बार लगातार 40 दिनों तक जाप करता है उसका यह मंत्र सिद्ध हो जाता है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। 

नवग्रह हवन पूजन की विधि (Method of Worshipping Navagraha Havan)

नवग्रह हवन पूजा (Havan Puja) के लिए पहले ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है। 

बाएँ हाथ में अक्षत लेकर "ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च। हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्‌" मंत्र का उच्चारण करते हुए दाएँ हाथ से अक्षत अर्पित करते हुए ग्रहों का आह्वान किया जाता है। हवन कुंड (Havan Kund) में आहुति दी जाती है और पूर्णाहुति के साथ यज्ञ हवन (Yagya Havan) संपन्न किया जाता है।

हवन पूजा (Havan Puja) के दौरान कुश पौधे से बने छल्ले को ऊंगली में पहना जाता है और कुश के आसन का प्रयोग भी किया जाता है।

नवग्रह हवन सामग्री  (Navagraha Hawan Samagri)

अगर, तगर, नागर मोथा, बालछड़, छाड़छबीला, कपूर कचरी, भोजपत्र, इन्द जौ, सितावर, सफेद चन्दन। आम या ढाक की सूखी लकड़ी। नवग्रह की नौ समिधा (आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा), हवन कुंड (Havan Kund)।

नवग्रह के नौ पौधे  (Nine Plants of Navagraha)

हर एक ग्रह शांति की पूजा के लिए अलग-अलग पौधों की लकड़ी और पत्तों का प्रयोग किया जाता है।

सूर्य- ऑक

मंगल- खैर 

बुध- लटजीरा पौधा 

बृहस्पति- पीपल

शनि- शमी 

शुक्र- गूलर

राहु-  दूर्वा

केतु-  कुशा

नवग्रह हवन का महत्त्व (Importance of Navagraha Hawan)

नवग्रह हवन पूजन करने से अच्छे स्वास्थ्य, ज्ञान, समृद्धि, सद्भाव और सफलता का वरदान प्राप्त होता है। 

नवग्रह हवन पूजन करने से कार्यों में आने वाली बाधा दूर हो जाती है और रुके हुए काम भी पूरे हो जाते है।

ग्रहों की दशा का प्रभाव  (Effect of Planetary Positions)

व्यक्ति की हर दशा का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। जो ग्रह आपकी कुंडली में बलवान होता है या कमजोर होता है, वह वैसा ही आप पर प्रभाव छोड़ता है।

सूर्य ग्रह

यदि सूर्य आपकी कुंडली में बलवान होगा तो आप बलवान होंगे। यदि सूर्य कमजोर होगा तो आपके बाल झड़ेंगे और आए दिन सिर में दर्द होगा। 

चन्द्र ग्रह 

यदि चन्द्र कमजोर होगा तो मन कमजोर और आप अधिक भावुक होंगे। जुकाम और खांसी कफ जैसी व्याधियों से जल्दी प्रभावित होंगे। 

मंगल ग्रह

कमजोर मंगल के जातक सुस्त होते है। चोट और दुर्घटना का भय ज्यादा रहता है। 

बुध ग्रह

तेज बुध के जातक चालाक होते है और कमजोर बुध के भोले-भाले। खराब बुध वाले लोग सांस, फेफड़े, दमे, चर्म रोग और गूंगे या बहरेपन की बिमारी से पीड़ित रहते है।

ब्रहस्पति ग्रह

गुरु यानी ब्रहस्पति व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है परन्तु पढ़े लिखे लोग यदि मूर्खों जैसा व्यवहार करें तो समझ लीजिए कि व्यक्ति का गुरु खराब है। कमजोर गुरु ग्रह वाले लोग मोटापा, पीलिया और पेट की बीमारी से परेशान रहते है।

शुक्र ग्रह

मजबूत शुक्र ग्रह वाले लोग अपना जीवन आनंद से बिताते है वहीं कमजोर शुक्र वाले लोग मधुमेह, पतले शरीर या छोटे कद से परेशान रहते है। 

शनि ग्रह

व्यक्ति को शारीरिक व्याधियों से जो भी कष्ट होता है वह शनि ग्रह का प्रभाव होता है।

राहु ग्रह

राहू एक रहस्यमय ग्रह है। हृदय गति रुक जाना या स्ट्रोक राहू से ही होता है।

केतु ग्रह

केतु ग्रह मनोविज्ञान से संबंधित है इसके कारण होने वाली बीमारी का पता लगना कठिन होता है। उपरी आपदा या भूत-प्रेत बाधा केतु के कारण ही होती है।

इन सभी ग्रहों को मजबूत करने के लिए और दोष निवारण के लिए वास्तु यज्ञ हवन (Vastu Yagya Havan) का विशेष महत्व है।

नवग्रह हवन से जुड़े प्रश्न और उत्तर 

प्रश्न : नवग्रह हवन मंत्र क्या है?

उत्तर: नवग्रह हवन के लिए विशेष मंत्र है: ऊँ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु। इस मंत्र का हर रोज 108 बार लगातार 40 दिनों तक जाप करने से यह सिद्ध हो जाता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

प्रश्न: नवग्रह हवन पूजन की विधि क्या है?

उत्तर: नवग्रह हवन के लिए पहले ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है। अक्षत अर्पित करते हुए ग्रहों का आह्वान किया जाता है और हवन कुंड में आहुति दी जाती है। हवन के दौरान कुश पौधे से बने छल्ले का उपयोग किया जाता है और कुश के आसन का प्रयोग भी किया जाता है।

प्रश्न: नवग्रह हवन सामग्री में क्या-क्या शामिल है?

उत्तर: नवग्रह हवन सामग्री में अगर, तगर, नागर मोथा, बालछड़, छाड़छबीला, कपूर कचरी, भोजपत्र, इन्द जौ, सितावर, सफेद चन्दन, आम या ढाक की सूखी लकड़ी, और नवग्रह की नौ समिधा (आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा) शामिल हैं।

प्रश्न: नवग्रह हवन का महत्त्व क्या है?

उत्तर: नवग्रह हवन से अच्छे स्वास्थ्य, ज्ञान, समृद्धि, सद्भाव और सफलता का वरदान प्राप्त होता है। यह पूजा कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करती है और रुके हुए काम पूरे होते हैं। ग्रहों की दशा का सुधार जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

प्रश्न: नवग्रह हवन के लिए नौ पौधे कौन-कौन से होते हैं?

उत्तर: नवग्रह हवन के लिए नौ पौधे इस प्रकार हैं:
सूर्य: ऑक, मंगल: खैर, बुध: लटजीरा पौधा, बृहस्पति: पीपल, शनि: शमी, शुक्र: गूलर, राहु: दूर्वा और केतु: कुशा

प्रश्न: ग्रहों की दशा का प्रभाव कैसे होता है?

उत्तर: प्रत्येक ग्रह की दशा का व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव होता है। उदाहरण के लिए, बलवान सूर्य व्यक्ति को बलवान बनाता है, जबकि कमजोर सूर्य से सिरदर्द और बाल झड़ने की समस्या होती है। इसी प्रकार, अन्य ग्रहों की दशा भी व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन पर प्रभाव डालती है।

प्रश्न: नवग्रह हवन के दौरान किन उपायों का पालन करना चाहिए?

उत्तर: नवग्रह हवन के दौरान कुश पौधे से बने छल्ले को ऊंगली में पहनना चाहिए और कुश के आसन का प्रयोग करना चाहिए। हवन कुंड में आहुति देते समय मंत्रों का सही उच्चारण करना आवश्यक है।

प्रश्न : नवग्रह हवन से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर: नवग्रह हवन से ग्रहों की दशा सुधरती है, जिससे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। यह हवन स्वास्थ्य, ज्ञान, और कार्यों में सफलता प्रदान करता है और बाधाओं को दूर करता है।

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