लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti)

Lakshmi Ji Ki Aarti

लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti)

Aarti Maa Lakshmi Ji Ki

यह आरती धन, समृद्धि और प्रचुरता की देवी, माँ लक्ष्मी (Devi Maa Lakshmi) की प्रशंसा में गाया जाने वाला एक लोकप्रिय भक्ति गीत है। आरती धार्मिक समारोहों और देवी लक्ष्मी को समर्पित त्योहारों के दौरान गायी जाती है।

सनातन धर्म में देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) को दिव्य कृपा, भाग्य और आशीर्वाद के अवतार के रूप में माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी अपने भक्तों के लिए भौतिक और आध्यात्मिक धन लाती हैं, इसलिए देवी लक्ष्मी को समृद्धि, खुशी और शुभता प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। भक्त वित्तीय स्थिरता, प्रयासों में सफलता और समग्र कल्याण के लिए उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।

मधुर छंदों में रचित लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji ki Aarti), देवी लक्ष्मी के प्रति भक्ति और कृतज्ञता व्यक्त करती है। यह उनके दैवीय गुणों, जैसे कि उनकी चमक, सुंदरता और परोपकार को चित्रित करता है। आरती के बोल देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद के लिए भक्त की गहरी श्रद्धा और लालसा को दर्शाते हैं, साथ ही उनके जीवन में उनकी दिव्य उपस्थिति और महत्व को भी स्वीकार करते हैं।

लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji ki Aarti) पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों (musical instruments) के साथ भक्ति और श्रद्धा का माहौल बनाती है। ऐसा माना जाता है कि इस आरती को शुद्ध हृदय और सच्ची भक्ति के साथ सुनाने या सुनने से देवी लक्ष्मी की कृपा (Devi Lakshmi ki Kripa) प्राप्त होती है, जिससे भक्तों के जीवन में समृद्धि और प्रचुरता आती है।

लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji ki Aarti) एक भक्ति गीत है, यह गीत धन और समृद्धि क देवी लक्ष्मी की स्तुति और पूजा करता है। यह भक्तों के लिए आभार व्यक्त करने, उनका आशीर्वाद लेने और उनके जीवन में उनकी दिव्य उपस्थिति का आह्वान करने का एक तरीका है। यह आरती धन की देवी के प्रति आस्था, भक्ति और कृतज्ञता की भावना को प्रकट करती है, भक्तों को धन के आध्यात्मिक महत्व की याद दिलाती है।

लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti)

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।।

(हे लक्ष्मी माता! आपकी जय हो। हम आपके गुण गाते हैं, हम दिन-रात आपकी सेवा करते हैं, आपका ध्यान तो भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) दिन रात करते हैं)

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जगमाता, मैया तुम ही जगमाता।

सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।।

(इस जगत में माँ पार्वती और माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी का ही रूप हैं। माँ लक्ष्मी ही इस सम्पूर्ण जगत की माता हैं। उनका ध्यान स्वयं सूर्य और चंद्रमा भी करते हैं। साथ ही नारद व सभी ऋषि मुनि उनके ही गुण गाते हैं)

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैया सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।।

(हे लक्ष्मी माता! आप माँ दुर्गा का ही एक रूप हैं। आप सुख-संपत्ति की दाता हैं, जो कोई भी आपका ध्यान करता है, वह समृद्धि, सफलता और धन प्राप्त करता है)

तुम ही पाताल निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैया तुम ही शुभदाता।

कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता।।

(तीनों लोकों में माँ लक्ष्मी का निवास पाताल लोक (Paatal lok) में भी है और वो अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करने वाली हैं। उनके कर्मों का प्रकाश चारों तरफ फैला हुआ है। माँ लक्ष्मी इस सृष्टि का पालन करने वाली देवी हैं)

जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता, मैया सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता।।

(हे लक्ष्मी माता! जिस घर में आपका निवास होता है, उस घर में सभी गुण प्रकट हो जाते हैं, वहां सब कुछ संभव हो जाता है, और किसी के मन में कोई भय नहीं रहता)

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैया वस्त्र न कोई पाता।

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता।।

(हे लक्ष्मी माता! आपकी कृपा के बिना यज्ञ संभव नहीं हैं। न ही आपकी कृपा के बिना किसी को कपड़े मिल सकते हैं। लोगों के घरों में जो भी खाने पीने का वैभव है वो सिर्फ आपकी कृपा से ही संभव होता है)

शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता, मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता।

रत्न चतुर्दश तुम, बिन कोई नहीं पाता।।

(आपके पास शुभ गुण हैं, और आपका मंदिर अत्यंत सुंदर है। आपकी उत्पत्ति क्षीर सागर से समुंद्र मंथन के समय हुई है। आपकी कृपा के बिना किसी को भी रत्नों की प्राप्ति नहीं हो सकती)

महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता, मैया जो कोई नर गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।।

(जो भी मनुष्य महालक्ष्मी जी की आरती गाता है। वह असीम आनंद में डूबा रहता है। उसे हमेशा आनंद की अनुभूति होती है। उसके द्वारा अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं)

निष्कर्ष :

माँ लक्ष्मी जी की आरती (Maa Lakshmi Ji ki Aarti) एक हार्दिक भक्तिमय भजन है जो उन्हें श्रद्धांजलि देता है। यह आरती माँ के प्रति गहरी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करती है, साथ ही आशीर्वाद, खुशी और भौतिक कल्याण प्रदान करने वाली देवी के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालती है। आरती के छंदों के माध्यम से, भक्त धन और सफलता के परम स्रोत के रूप में देवी लक्ष्मी को स्वीकार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। माना जाता है कि उनकी उपस्थिति जीवन के हर पहलू में शुभता और पूर्णता लाती है। उनकी स्तुति गाकर और प्रार्थना करके, भक्त उनका आशीर्वाद और दैवीय कृपा प्राप्त करते हैं। इस संसार में हर कोई उनके मार्गदर्शन और सुरक्षा की लालसा रखता है।

आरती खूबसूरती से देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) के दिव्य गुणों और महत्व को दर्शाती है। यह उन्हें ब्रह्मांड की माता, सभी प्राणियों की पालन-पोषण करने वाली और भगवान विष्णु की पत्नी (Bhagwan Vishnu ki Patni) के रूप में चित्रित करती है। उनकी परोपकारिता, ज्ञान और प्रचुर कृपा भक्तों द्वारा पूजनीय है।

भक्ति और ईमानदारी के साथ मां लक्ष्मी जी की आरती का पाठ (Maa Lakshmi Aarti Paath) करके, भक्त न केवल अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं बल्कि परमात्मा के साथ अपने संबंध को भी मजबूत करते हैं। यह किसी व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा में कृतज्ञता, विनम्रता और भक्ति के महत्व की याद दिलाती है। आरती विश्वास, आशा और आशावाद की भावना पैदा करती है, भक्तों को समृद्धि, सफलता और आध्यात्मिक कल्याण के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

माँ लक्ष्मी जी की आरती, (Lakshmi ji ki Aarti) देवी लक्ष्मी की दिव्य उपस्थिति का एक शक्तिशाली आह्वान है, जो भक्तों के जीवन में उनके आशीर्वाद और शुभता को लाती है। यह भक्ति और कृतज्ञता की एक पवित्र अभिव्यक्ति है, जो देवी लक्ष्मी के साथ एक गहरे आध्यात्मिक संबंध को बढ़ावा देती है और लोगों को समृद्धि की खोज में उनकी दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।

 

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