दीपावली से दो दिन पूर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस (Dhanteras) का पर्व मनाया जाता है। समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वन्तरि (Bhagwan Dhanvantari) अमृत का स्वर्णकलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन धनतेरस (Dhanteras) के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन कोई वस्तु खरीदने से उसका तेरह गुणा लाभ मिलता है। इसलिये लोग इस दिन सोना-चांदी आदि कीमती वस्तुएं खरीदते हैं। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि भगवान धन्वन्तरि (Lord Dhanvantari) स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन धातु का खरीदना शुभ होता है।
धनतेरस के दिन धन-धान्य, वैभव-ऐश्वर्य प्राप्त करने के लिए भगवान धन्वन्तरि (Bhagwan Dhanvantari), मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) और कुबेर (Bhagwan Kuber) की पूजा होती है। इसके अलावा इसी दिन दक्षिण दिखा में यम (Yam) के नाम का एक दीपक अवश्य जलाया जाता है। ऐसा करने वाले परिवार के सभी व्यक्ति अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाते हैं। इस बारे में एक कथा भी है कि एक समय में एक राजा हेम (Raja Hem) थे। उनका एक पुत्र था। राज्य के ज्योतिषियों ने राजकुमार की कुंडली का अध्ययन करके राजा को बताया कि राजकुमार के विवाह के चार दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो जायेगी। इस डर से राजा ने ऐसी जगह राजकुमार को भेज दिया जहां पर किसी स्त्री की परछाई तक न पड़े।
किन्तु एक राजकुमारी राजकुमार को भा गयी और उन्होंने उससे गंधर्व विवाह कर लिया। इसके बाद समय पर यमदूत राजकुमार के प्राण लेने आए और प्राण लेकर जाने लगे तो राजकुमारी ने करुण क्रंदन करते हुए विलाप किया। इससे यमदूतों में से एक दूत पिघल गया और उसने यमराज से पूछा कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है। तो यमराज ने कहा कि धनतेरस (Dhanteras) के दिन घर के दक्षिण दिशा में जो भी यम के नाम का दीपक जलायेगा वह अकाल मृत्यु से मुक्त हो जायेगा। तब से यह दीप जलाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि (Bhagwan Dhanvantari) धन के अलावा स्वास्थ्य के भी भगवान हैं। इसलिये इस दिन चिकित्सक भी धनतेरस (Dhanteras) को पूर्ण श्रद्धा-आस्था से मनाते हैं।
वैदिक पंचांगों के अनुसार वर्ष 2023 में धनतेरस (Dhanteras) का पर्व 10 नवम्बर को होगा। इसी दिन शाम को प्रदोषकाल में पूजा की जायेगी। पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 10 नवम्बर को दोपहर बाद 12:35 बजे से शुरू होगी और 11 नवम्बर को दोपहर बाद 01:57 बजे समाप्त हो जायेगी। इसलिये 10 को ही प्रदोष काल में सायं 6:02 बजे से रात 8:00तक पूजा की जायेगी।
धनतेरस के दिन शाम के समय उत्तर की दिशा में भगवान धन्वंतरि (Bhagwan Dhanvantari), कुबेर (Lord Kuber) और माता लक्ष्मी (Mata Laxmi) की मूर्ति स्थापित करें। दीप प्रज्वलित कर विधिविधान से पूजा करें। सबसे पहले सभी देवी-देवताओं का जल से स्रान करायें, वस्त्र पहनायें। इसके बाद तिलक लगायें। फिर धूप, दीप, पुष्प, फल आदि चीजें भेंट करें। कुबेर देवता (Kuber Devta) को सफेद रंग की मिठाई और भगवान धन्वंतरि देव को पीले रंग की मिठाई का भोग लगायें। पूजा के दौरान कुबेर और धन्वंतरि देव के मंत्र (Ghanvantari Dev ke Mantra) का उच्चारण करें। इसके बाद आरती (Aarti) करें।
धनतेरस पर सोना-चांदी, बर्तन, दीपावली पर पूजन के लिए गणेश-लक्ष्मी (Ganesh-Laxmi) की प्रतिमा खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अलावा माता लक्ष्मी (Mata Laxmi) की प्रतीक झाड़ू को भी खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इस वर्ष खरीददारी का शुभ मुहूर्त 10 नवम्बर को दोपहर 02:35 बजे से सारी रात है। किसी कारण से चूक जाने पर आप 11 नवम्बर को दोपहर 1:57 बजे तक खरीददारी कर सकते हैं।
Read also - Dhanvantari Homam
0 Comments:
Leave a Reply