जब भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के क्रोध के कारण पृथ्वी जलकर भस्म होने वाली थी तब माता पार्वती (Parvati Maa) ने भगवान शिव को शांत करने के लिए शिव की उपासना की थी तथा भोलेनाथ की पूजा के लिए माता पार्वती ने एक दिन का उपवास भी रखा था । माता पार्वती की प्रार्थना से प्रसन्न होने पर भगवान शिव जी का क्रोध शांत हो गया, तथा पृथ्वी वासियों को भगवान शिव के क्रोध के भय से मुक्ति मिल गई। जिस दिन माता पार्वती ने यह व्रत किया था उसी दिन को हम महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) के नाम से जानते हैं तथा आज भी हिंदू कैलेंडर के अनुसार उसी तिथि में अर्थात फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में भगवान शिव की पूजा (Bhagwan Shiv ki Puja) की जाती है।
महाशिवरात्रि पूजा 2025 का पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की आराधना विशेष रूप से रात्रि में की जाती है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं।
स्नान और शुद्धिकरण:
पूजा सामग्री तैयार करें:
शिवलिंग अभिषेक:
मंत्र जाप:
रात्रि जागरण:
आरती और प्रसाद:
महाशिवरात्रि के व्रत से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके जीवन के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह दिन भक्तों के लिए भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त करने का सबसे शुभ अवसर है।
भगवान शिव (Lord Shiva) से जुड़ी किसी भी पूजा में यदि रुद्राभिषेक किया जाए तो यह अत्यंत ही शुभ माना जाता है। अतः महाशिवरात्रि को भी भक्तों द्वारा प्रत्येक शिव मंदिर पर रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है।
जल, शहद, गाय का दूध, दही, घी, सरसों का तेल, पवित्र नदी का जल, गन्ने का रस, शक्कर, जनेऊ, गुलाल, धतूरा, बेल पत्र। यदि भक्त अपने घर के मंदिर में शिवजी की पूजा अर्चना करते हैं, तो वह स्वयं ही इन सामग्रियों का उपयोग करके भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
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