माता पार्वती (Mata Parvati)

Mata Parvati

देवी पार्वती (Goddess Parvati)

हिंदू पौराणिक कथाओं में देवी पार्वती (Devi Parvati), ब्रह्मांड की दिव्य मां के रूप में पूजी जाती हैं। उन्हें उमा, गौरी और शक्ति जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। लोक कथाओं में उन्हें 1 हजार से ज्यादा नाम हैं। वो लक्ष्मी और सरस्वती के साथ त्रिदेवी के रूप में पहचानी जाती हैं। माता पार्वती भगवान शिव (Bhagwan Shiva) की पत्नी हैं तथा भगवान गणेश और कार्तिकेय की मां हैं।

देवी पार्वती की उत्पत्ति (Origin of Mata Parvati)

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती (Devi Parvati) को भगवान शिव (Lord Shiv) की पहली पत्नी सती (Sati) का अवतार माना जाता है। अपने पिता दक्ष प्रजापति (Daksh Prajapati) द्वारा अपने पति का अनादर होने के कारण सती ने स्वयं को यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था। इस दुःख से व्याकुल होकर, भगवान शिव ने खुद को दुनिया से अलग कर लिया था और वो एकांतप्रिय हो गए थे।

उन्हें सृष्टि की दिव्य लीला में वापस लाने के लिए, पार्वती का जन्म राजा हिमवान और रानी मैना की बेटी के रूप में हुआ। जैसे-जैसे वह बड़ी हुईं, पार्वती की भगवान शिव (Bhagwan Shiva) के प्रति गहरी भक्ति स्पष्ट हो गई। उसका दिल जीतने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर, वह कठोर तपस्या और आत्म-अनुशासन की यात्रा पर निकल पड़ी। उनके अटूट समर्पण से प्रभावित होकर, भगवान शिव ने अंततः उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया, और इस प्रकार, पार्वती भगवान शिव की पत्नी बन गईं।

देवी पार्वती का व्यक्तित्व (Personality of Goddess Parvati)

देवी पार्वती (Devi Parvati) को आदर्श पत्नी और मां के रूप में चित्रित किया जाता है। वह धैर्य, करुणा और प्रेम के गुणों का प्रतीक हैं। इसके अलावा माता पार्वती (Mata Parvati) का व्यक्तित्व अन्य भूमिकाओं में भी है। जैसे: दुर्गा के रूप में वह एक उग्र और अजेय योद्धा देवी हैं जो शेर की सवारी करती हैं और बुरी ताकतों से लड़ती हैं। काली के रूप में वह परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है। अन्नपूर्णा (Mata Annapurna) के रूप में वह प्रचुरता और भरण-पोषण का प्रतीक है। माता पार्वती की बहुमुखी प्रतिभा और विभिन्न भूमिकाओं में ढलने की उनकी क्षमता उन्हें महिलाओं की बहुमुखी प्रकृति का प्रतीक बनाती है।

देवी पार्वती दिव्य माँ के रूप में (Goddess Parvati as Divine Mother)

दिव्य माँ के रूप में देवी पार्वती (Mata Parvati) सारी सृष्टि में पूजनीय हैं। वह मातृ प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है, एक देखभाल करने वाली माँ की तरह अपने भक्तों का मार्गदर्शन और पोषण करती है। पार्वती के मातृ प्रेम का उदाहरण उनके दो पुत्रों, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय (Bhagwan Kartikeya) के साथ उनके संबंधों से मिलता है। हाथी के सिर वाले भगवान गणेश (Lord Ganesha) को बाधाओं का निवारण करने वाला और बुद्धि का देवता माना जाता है। भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन (Bhagwan Murugan) के नाम से भी जाना जाता है, दिव्य सेनाओं के सेनापति हैं और वीरता और बहादुरी का प्रतिनिधित्व करते हैं। अपने बच्चों के प्रति पार्वती की अटूट भक्ति और समर्पण एक माँ के असीम प्रेम को दर्शाता है।

देवी पार्वती का शारीरिक रूप  (Physical form of Maa Parvati)

देवी पार्वती (Mata Parvati) आमतौर पर मूर्तियों और तस्वीरों में निष्पक्ष, सुंदर और परोपकारी रूप में दिखाई देती हैं। जब वह भगवान शिव (Lord Shiva) के साथ होती हैं तो उनकी दो भुजाओं को दर्शाया जाता है। जबकि जब वो अकेली होती है तो उन्हें चार हाथों से चित्रित किया जाता है। माता पार्वती लाल साड़ी पहनती हैं।

शक्तिवाद में देवी पार्वती की भूमिका (Role of Goddess Parvati in Shaktism)

देवी पार्वती (Mata Parvati) शक्तिवाद के दर्शन में एक केंद्रीय भूमिका निभाती हैं, जो हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है जो दिव्य स्त्री ऊर्जा, शक्ति की पूजा करता है। शक्ति को मौलिक ब्रह्मांडीय ऊर्जा माना जाता है जो पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है और ब्रह्मांड निर्माण, संरक्षण और विघटन के लिए जिम्मेदार है।

शक्ति के रूप में देवी पार्वती, दिव्य स्त्री के गतिशील पहलू का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह शक्ति, ऊर्जा और रचनात्मक शक्ति का अवतार है। शक्तिवाद के भक्त अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करने और सांसारिक सफलता के लिए उनका आशीर्वाद चाहते हैं। माता पार्वती, अपने विभिन्न रूपों में, उन लोगों के लिए प्रेरणा और शक्ति का स्रोत बन जाती हैं जो अपनी दिव्य क्षमता का दोहन करने की इच्छा रखते हैं।

देवी पार्वती को समर्पित त्योहार (Festivals dedicated to Goddess Parvati)

हरतालिका तीज (Hartalika Teej)

हरतालिका तीज ऐसा त्योहार है जो भारत के कई हिस्सों में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह हिंदू माह भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीसरे दिन) को पड़ता है। इस दिन महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं और माता पार्वती की पूजा (Mata Parvati ki Puja) करती हैं। इस त्योहार के दौरान महिलाएं एकत्रित होती हैं, पारंपरिक गीत गाती हैं और अनुष्ठान करती हैं, वैवाहिक सद्भाव और समृद्धि के लिए देवी पार्वती का आशीर्वाद मांगती हैं।

माता पार्वती (Mata Parvati), अपने बहुमुखी व्यक्तित्व और गहन प्रतीकवाद के साथ, दुनिया भर के लोगों मोहित कर लेती हैं। ब्रह्मांड की दिव्य मां के रूप में, वह शाश्वत स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है जिसमें प्रेम, शक्ति और ज्ञान शामिल है। उनकी कहानियां और शिक्षाएं एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में काम करती हैं, जो व्यक्तियों को अपनी वास्तविक क्षमता को अपनाने, आंतरिक शक्ति विकसित करने और सभी प्राणियों के प्रति करुणा का संचार करने के लिए प्रेरित करती हैं।

 

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