शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima)

sharad purnima full moon

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima)

सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार वर्ष के सातवें महीने को आश्विन (क्वांर) माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) कहा जाता है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Purnima), कौमुदी पूर्णिमा (Kaumudi Purnima) और रास पूर्णिमा (Raas Purnima)
भी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे वर्ष में एक यही ऐसी पूर्णिमा है जिस दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) रात्रि में पृथ्वी पर विचरण करतीं हैं और अपने भक्तों पर दया भी करतीं हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण (Bhagavan Sri Krishna) ने महारास भी रचाया था। 

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात में चन्द्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसीलिए लोग उस रात में गाय के दूध और चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में खुले आसमान के नीचे रख देते हैं। ऐसा माना जाता है कि वो खीर अमृत के समान हो जाती है। फिर इस खीर को प्रसाद के रूप में लोगों में बांटकर खाया जाता है।

कब है शरद पूर्णिमा (When is Sharad Purnima)

वैदिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) 28 अक्टूबर, 2023 दिन शनिवार को को मनायी जायेगी। आश्विन मास की पूर्णिमा 28 अक्टूबर को सुबह 04:17 मिनट से शुरू होगी और 29 अक्टूबर को रात 01:53 पर समाप्त होगी। पूर्णिमा की उदयातिथि और चन्द्रमा के उदय होने का समय दोनों ही 28 अक्टूबर होने के कारण इसी दिन शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) मनायी जायेगी ।

मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त (Auspicious time for worship of Goddess Lakshmi)

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात में मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) की पूजा का शुभ मुहूर्त तीन हैं। इसमें सबसे पहला शुभ-उत्तम मुहूर्त रात्रि 08:52 बजे से 10:29 बजे तक है। दूसरा शुभ-उत्तम मुहूर्त रात्रि 10:29 बजे से रात्रि 12:05 बजे तक है और तीसरा  शुभ-चर सामान्य मुहूर्त 12:05 बजे से रात्रि 01:41 बजे तक है।  

चन्द्रोदय किस समय होगा (What time will the moon rise)

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को चन्द्रोदय का विशेष महत्व होता। पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में 28 अक्टूबर की की शाम को चन्द्रोदय  05:20 बजे होगा। 

किस प्रकार से पूजा करें (How to worship)

शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर निकट में स्थित किसी पावन नदी, सरोवर में स्रान करें। यदि यह संभव न हो तो अपने ही घर के शुद्ध जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला कर स्नान करें। अपने पूजा घर को सफाई के साथ शुद्ध भी कर लें। इसके बाद एक लकड़ी के चौकी पर लाल रंग कपड़ा बिछाएं और उस स्थान को भी गंगा जल (Ganga Jal) से शुद्ध कर लें। इसके बाद मां लक्ष्मी की प्रतिमा अथवा चित्र को स्थापित करें और वस्त्र पहनाएं। इसके बाद माता लक्ष्मी (Mata Laxmi) की प्रतिमा का लाल चंदन या रोली से तिलक करें। फिर लाल रंग के फूल, धूप-दीप, नैवेद्य, पान-सुपारी, भोग आदि से पूजा करें। पूजा के बाद आरती करें। फिर शाम के समय भी मां लक्ष्मी की पूजा आरती करें। साथ ही विष्णु (Vishnu God) भगवान की भी पूजा करें। शाम को चन्द्रमा (Moon) को अर्घ्य भी दें। इसके बाद गाय के दूध और चावल की बनी खीर को चन्द्रमा (Moon) की रोशनी में रख दें और तीन घंटे के बाद उस खीर को उठा लें और पूरे परिवार और आसपास के लोगों तथा गरीबों में प्रसाद के रूप में बांटें। रात्रि जागरण कर मां लक्ष्मी का कीर्तन करें। 

  • Share:

0 Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Format: 987-654-3210

फ्री में अपने आर्टिकल पब्लिश करने के लिए पूरब-पश्चिम से जुड़ें।

Sign Up