सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार वर्ष के सातवें महीने को आश्विन (क्वांर) माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) कहा जाता है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Purnima), कौमुदी पूर्णिमा (Kaumudi Purnima) और रास पूर्णिमा (Raas Purnima) भी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे वर्ष में एक यही ऐसी पूर्णिमा है जिस दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) रात्रि में पृथ्वी पर विचरण करतीं हैं और अपने भक्तों पर दया भी करतीं हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण (Bhagavan Sri Krishna) ने महारास भी रचाया था।
ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात में चन्द्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसीलिए लोग उस रात में गाय के दूध और चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में खुले आसमान के नीचे रख देते हैं। ऐसा माना जाता है कि वो खीर अमृत के समान हो जाती है। फिर इस खीर को प्रसाद के रूप में लोगों में बांटकर खाया जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) 16 अक्टूबर, 2024 दिन को को मनायी जायेगी। पूर्णिमा की उदयातिथि और चन्द्रमा के उदय होने का समय दोनों ही 16 अक्टूबर होने के कारण इसी दिन शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) मनायी जायेगी ।
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात में मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) की पूजा का शुभ मुहूर्त तीन हैं। इसमें सबसे पहला शुभ-उत्तम मुहूर्त रात्रि 08:52 बजे से 10:29 बजे तक है। दूसरा शुभ-उत्तम मुहूर्त रात्रि 10:29 बजे से रात्रि 12:05 बजे तक है और तीसरा शुभ-चर सामान्य मुहूर्त 12:05 बजे से रात्रि 01:41 बजे तक है।
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को चन्द्रोदय का विशेष महत्व होता। पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में 16 अक्टूबर की की शाम को चन्द्रोदय शाम 05 बजकर 05 मिनट।
शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर निकट में स्थित किसी पावन नदी, सरोवर में स्रान करें। यदि यह संभव न हो तो अपने ही घर के शुद्ध जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला कर स्नान करें। अपने पूजा घर को सफाई के साथ शुद्ध भी कर लें। इसके बाद एक लकड़ी के चौकी पर लाल रंग कपड़ा बिछाएं और उस स्थान को भी गंगा जल (Ganga Jal) से शुद्ध कर लें। इसके बाद मां लक्ष्मी की प्रतिमा अथवा चित्र को स्थापित करें और वस्त्र पहनाएं। इसके बाद माता लक्ष्मी (Mata Laxmi) की प्रतिमा का लाल चंदन या रोली से तिलक करें। फिर लाल रंग के फूल, धूप-दीप, नैवेद्य, पान-सुपारी, भोग आदि से पूजा करें। पूजा के बाद आरती करें। फिर शाम के समय भी मां लक्ष्मी की पूजा आरती करें। साथ ही विष्णु (Vishnu God) भगवान की भी पूजा करें। शाम को चन्द्रमा (Moon) को अर्घ्य भी दें। इसके बाद गाय के दूध और चावल की बनी खीर को चन्द्रमा (Moon) की रोशनी में रख दें और तीन घंटे के बाद उस खीर को उठा लें और पूरे परिवार और आसपास के लोगों तथा गरीबों में प्रसाद के रूप में बांटें। रात्रि जागरण कर मां लक्ष्मी का कीर्तन करें।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: शरद पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण के रास लीला का समय माना जाता है, जो भक्तों के लिए आनंद और आध्यात्मिक उत्तरदायित्व का संकेत है। इस दिन को मनाकर भक्ति और प्रेम का प्रकटार्थ किया जाता है।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा पर क्या महत्वपूर्ण परंपरागत रीति-रिवाज होते हैं?
उत्तर: शरद पूर्णिमा के दिन लोग गंगा घाटों पर समाजिक उत्सव आयोजित करते हैं, गाय के दूध की खीर बनाते हैं, और लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। इसके अलावा, रात्रि जागरण और कीर्तन भी आयोजित किए जाते हैं।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा का पर्व किस प्रकार मनाया जाता है?
उत्तर: लोग शरद पूर्णिमा को उत्साह से मनाते हैं, जिसमें पूजा-अर्चना, समाजिक समारोह, भजन-कीर्तन, और सेवा शामिल होती है। इस दिन लोग धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और अपने परिवार के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त क्या है?
उत्तर: शरद पूर्णिमा की रात्रि में मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त तीन होते हैं, जो भक्तों के लिए विशेष महत्वपूर्ण होते हैं।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा की खासियत क्या है?
उत्तर: शरद पूर्णिमा को चन्द्रमा की विशेष किरणों से अमृत की वर्षा का संकेत माना जाता है, जिसे लोग चंद्रोदय के समय उठकर गाय के दूध और चावल की खीर के रूप में पूजा में शामिल करते हैं।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा के दिन कौन-कौन सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं?
उत्तर: शरद पूर्णिमा के दिन समाज में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं जैसे की संगीत समारोह, कवि सम्मेलन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, खास भोजन आदि।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा का उत्सव किस प्रकार से भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है?
उत्तर: भारत के विभिन्न हिस्सों में शरद पूर्णिमा का उत्सव विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जैसे रास लीला, रात्रि जागरण, किसानों के लिए खास मेला, आदि।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा के अवसर पर किस प्रकार के व्रत और उपवास किए जाते हैं?
उत्तर: शरद पूर्णिमा के दिन लोग निर्जला व्रत और सात्विक आहार का पालन करते हैं। कुछ लोग दूध-मिश्रित आहार भी करते हैं।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा पर किस प्रकार की धार्मिक क्रियाएं आयोजित की जाती हैं?
उत्तर: शरद पूर्णिमा पर लोग मां लक्ष्मी की पूजा, श्रीकृष्ण की आराधना, संगीत समारोह, भजन-कीर्तन, सेवा कार्य, और अन्य धार्मिक क्रियाएं आयोजित करते हैं।
प्रश्न: शरद पूर्णिमा पर किस प्रकार के दान किए जाते हैं और इनका क्या महत्व होता है?
उत्तर: शरद पूर्णिमा पर लोग अन्नदान, वस्त्रदान, धन दान, और अन्य दान करते हैं, जिससे उन्हें आध्यात्मिक और कर्मिक लाभ मिलता है।
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