Wednesday, April 30

दीपावली (Diwali)

Deepawali

दीपावली (Diwali)

दीपावली हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक हैं। भारत में हर वर्ष मनाया जाने वाला यह एक धार्मिक त्यौहार (Religious Festival) है। जो बुराई पर अच्छाई की जीत को प्रदर्शित करती है। दीपावली प्रकाश का त्यौहार है। कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन भारत के सभी हिस्सों में दीपावली मनाई जाती  है। हमारे भारत में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में धार्मिक एवं सामाजिक दृष्टि से दिवाली का स्थान बहुत प्रमुख हैं । दीपावली के त्यौहार को दिवाली या दीपोत्सव नाम से भी जाना जाता है। दीपावली के 1 दिन पूर्व को हम हनुमान जी (Lord Hanuman) के जन्म उत्सव के उपलक्ष्य में मनाते हैं। इसे छोटी दीवाली या हनुमान जयंती के नाम से जानते हैं। हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) हर वर्ष दीपावली के 1 दिन पूर्व आने वाला पर्व है।

दीपावली (Deepawali) मनाए जाने का महत्व सिख, बौद्ध और जैन धर्म में भी है। सिख धर्म के लोग दिवाली को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं तथा जैन धर्म के लोग इसे महावीर स्वामी के मोक्ष दिवस के रुप में मनाते हैं। दीपावली आने पर लोग अपने घरों, दुकानों एवं विद्यालयों इत्यादि की सफाई करते हैं। दिवाली के शुभ अवसर पर, मंदिरों की मरम्मत, रंग रोगन इत्यादि आरंभ हो जाती हैं। बाजारों एवं गलियों को सजा दिया जाता है तथा प्रत्येक जगह दिए और मोमबत्तियां से सजी दुकानें देखी जाती हैं। दिवाली की शाम को पहले मंदिरों में उसके बाद लोगों द्वारा अपने घरों में दीए जलाए जाते हैं, दीपकों से ही पूरे घर को सजाया जाता है। दीपावली की रात माता लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा (Bhagwan Ganesh ki Puja) की जाती है । ऐसा माना जाता है कि दीपावली की रात में माता लक्ष्मी (Maata Lakshmi ki Puja) और गणेश भगवान की पूजा करने पर धन तथा बुद्धि की कमी नहीं होती।

अयोध्या में दीपावली (Diwali In Ayodhya)

रामायण महाकाव्य के अनुसार जब दशरथ पुत्र श्री राम (Shri Ram) अपने पिता की आज्ञा मानते हुए 14 वर्षों का वनवास पूरा करने के उपरांत कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन पुनः अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्या वासियों की खुशी का ठिकाना नहीं था। श्री राम की माताऐं तथा उनके भाई भरत और शत्रुघ्न भी श्री राम के अयोध्या लौटने का इंतजार कर रहे थे। भगवान श्री राम के वापस आने पर अयोध्या वासियों ने अपने प्रिय राजकुमार राम तथा लक्ष्मण जी के स्वागत के लिए घी के दीपक जलाए थे। पुरी अयोध्या दीपकों के प्रकाश से आलौकित हो रही थी। श्री रामचंद्र के वापस आने के उपलक्ष्य में ही दीपावली मनाए जाने की शुरुआत हुई थी। दीपावली के दिन हम अमावस्या के दिन दीपकों से अपने घर एवं मंदिरों को सजा कर के अंधकार से प्रकाश की ओर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

श्री लक्ष्मी गणेश पूजा (Laxmi Ganesh Puja)

दीपावली (Diwali) की शाम को अपने घरों एवं मंदिरों में दीपक जलाने के पश्चात हम लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं। कहानियों के अनुसार माता लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को अपने मानस पुत्र के रूप में स्वीकार किया है। माता लक्ष्मी ने गणेश भगवान को यह वरदान दिया है कि जो भी व्यक्ति श्री लक्ष्मी गणेश की एक साथ पूजा करेगा उसे धन एवं सिद्धि दोनों प्राप्त होंगे। माता लक्ष्मी को धन की देवी (Dhan ji Devi) माना जाता है वही भगवान गणेश सिद्धि एवं बुद्धि के दाता होते हैं। बिना बुद्धि के धन का कोई औचित्य नहीं होता। इसीलिए दीपावली की रात हम माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की एक साथ पूजा करते हैं।

दीपावली मनाए जाने की तिथि 2025 में (Diwali in 2025)

दीपावली का पर्व वर्ष 2025 में सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

पंच दिवसीय दीपावली उत्सव की तिथियाँ:

  1. धनतेरस: 17 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)
  2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
  3. दीपावली (लक्ष्मी पूजा): 20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
  4. गोवर्धन पूजा: 21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
  5. भाई दूज: 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)

लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त:

  • प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक
  • वृषभ काल: रात 7:08 बजे से रात 9:03 बजे तक
  • लक्ष्मी पूजा का समय: रात 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक

दीपावली के दिन, विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जो सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट की अवधि होती है। यह समय देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

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