वैदिक कलेंडर के भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान विष्णु (Vishnu Bhagwan) के अनंत स्वरूप और माता लक्ष्मी (Laxmi Mata) रक्षा सूत्र अर्पित कर उसे बांधने की पूजा को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) या अनंत चौदस कहा जाता है।
रोग-दोष एवं अन्य व्याधियों से मुक्ति पाने के लिए एवं समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना के लिए अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) का व्रत एवं पूजन किया जाता है। मान्यता है कि लम्बे समय से बीमार चले आ रहे व्यक्ति तथा गृहक्लेश से जूझ रहे परिवार को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) का व्रत एवं पूजन अवश्य करना चाहिये। इससे उनकी समस्त समस्याएं दूर हो जातीं हैं एवं धन-वैभव एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ऐसा वर्णन आता है कि महाभारत (Mahabharat) से पूर्व जब पाण्डव द्यूत क्रीड़ा में सारा राजपाट गंवा कर वनवास काल में वन में तरह-तरह के कष्ट भोग रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) ने युधिष्ठिर को अनन्त चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) व्रत एवं पूजा करने को कहा था तब सभी पाण्डवों ने यह व्रत एवं पूजा करके अनन्तसूत्र धारण किया था। इससे उनके सभी संकट दूर हो गये थे।
इस वर्ष अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) का पर्व 16 सितम्बर, 2024 को मनाया जायेगा।
अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन सबसे पहले प्रात:काल उठकर स्नानादि नित्यकर्म से निवृत होकर व्रत करने वाले श्रद्धालु को व्रत करने का संकल्प लेना चाहिये। पुराणों में व्रत एवं पूजन करने का संकल्प पवित्र नदियों एवं सरोवरों के किनारे लेने का विधान है लेकिन आज के युग में यदि नदी व सरोवर की व्यवस्था न हो सके तो अपने घर के पूजा घर में साफ-सफाई करने के बाद वहीं पर संकल्प लेकर व्रत शुरू करें।
पहला विधान यह है कि आप दिन भर के लिए व्रत करें और किसी ब्राह्मण को भोजन करायें एवं रात को पूजा के बाद व्रत का पारण करें।
दूसरा विधान यह है कि व्रती रोगादि किसी कारण से यदि दिन भर का व्रत न करना चाहे तो पूजन तक कुछ न खाये और पूजन के बाद ब्राह्मण एवं आचार्य को भोजन कराने के बाद भोजन ग्रहण कर सकता है।
अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन सर्वप्रथम अपने पूजा घर अथवा पूजा के स्थान को साफ सफाई के साथ शुद्ध कर ले। इसके बाद वहां पर रंगोली बनाकर श्रीगणेशजी (Bhagwan Shri Ganesh) को स्थापित करें। इसके बाद पूजास्थल पर कलश स्थापित करे। इसके साथ शेषनाग की शैया पर लेटे विष्णु भगवान (Bhagwan Vishnu) की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उनके समक्ष 14 गांठों वाला अनंता यानी रक्षा सूत्र रखें। उस अनंतरक्षा सूत्र को ऊँ अनन्ताय नम: मंत्र से अभिमंत्रित करते हुए अनंत भगवान की गंगाजल, शुद्धजल, पंचामृत, रोली, कुमकुम, चंदन, पुष्प, सुगंधित धूप, फल, मेवा, मिष्ठान आदि से पूजा करें। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर परिवार में जितने लोग हैं, सभी के लिए एक-एक अनंता यानी रक्षा सूत्र भगवान के समक्ष रखें। पूजा के उपरांत इस रक्षा सूत्र को पुरुष अपनी दाहिनी भुजा एवं महिलाएं अपनी बायीं भुजा पर धारण करें।
अनंत चतुर्दशी से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न - अनंत चतुर्दशी क्या है?
उत्तर: अनंत चतुर्दशी वैदिक कलेंडर के भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है, जिसे भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप और माता लक्ष्मी रक्षा सूत्र अर्पित कर उसे बांधने की पूजा कहा जाता है।
प्रश्न - अनंत चतुर्दशी का पर्व को क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: अनंत चतुर्दशी का व्रत और पूजा रोग-दोष से मुक्ति प्राप्त करने और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। पुराणों के अनुसार, यह व्रत पाण्डवों के द्वारा श्रीकृष्ण के साथ किया गया था और उनकी सभी संकटें दूर हो गई थीं।
प्रश्न - अनंत चतुर्दशी कब है?
उत्तर: इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 16 सितम्बर, 2024 को मनाई जाएगी।
प्रश्न - अनंत चतुर्दशी के व्रत के दो विधान क्या हैं?
उत्तर: पहला विधान है कि व्रती दिन भर के लिए व्रत करें और रात को पूजा के बाद व्रत का पारण करें। दूसरा विधान है कि व्रती रोग आदि कारणों से यदि दिन भर का व्रत नहीं करना चाहता है तो पूजन तक कुछ न खाए और पूजन के बाद ब्राह्मण एवं आचार्य को भोजन कराने के बाद भोजन ग्रहण कर सकता है।
प्रश्न - अनंत चतुर्दशी की पूजा कैसे करें?
उत्तर: पूजा के लिए सबसे पहले अपने पूजा स्थल को साफ-सफाई के साथ शुद्ध करें। फिर श्रीगणेशजी को स्थापित करें और पूजास्थल पर कलश स्थापित करें। उसके बाद शेषनाग की शैया पर लेटे विष्णु भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उनके समक्ष 14 गांठों वाला अनंत सूत्र रखें। इसके बाद पूजा करें, धूप, दीप, पुष्प, मिठाई, फल आदि से भगवान को पूजें। समाप्त होने पर रक्षा सूत्र को पुरुष अपनी दाहिनी भुजा पर और महिलाएं अपनी बायीं भुजा पर धारण करें।
प्रश्न - अनंत चतुर्दशी का इतिहास क्या है?
उत्तर: पुराणों के अनुसार, महाभारत के समय पाण्डव वनवास में थे और उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इस समय भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत और पूजा करने की सलाह दी थी, जिससे उनकी सभी समस्याएं दूर हो गई थीं।
प्रश्न - अनंत चतुर्दशी के दौरान कौन-कौन से आयोजन होते हैं?
उत्तर: अनंत चतुर्दशी के दौरान विभिन्न स्थानों पर पितृ तर्पण का आयोजन होता है, जिसमें ब्राह्मणों को भोजन और दान दिया जाता है। यह पक्ष पितृगण की आत्माओं को शांति देने और पितृ ऋण को समर्पण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
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