नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti)

Narasimha Jayanti

नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti)

भगवान नृसिंह (Lord Narasimha) को इस जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का चौथा अवतार माना जाता है। पौराणिक ग्रंथों में भगवान नारायण (Lord Narayan) के इस अवतार का विस्तार से वर्णन मिलता है, जिनमें बताया गया है कि भगवान विष्णु ने अपने भक्‍त प्रह्लाद की रक्षा करने और उसके अत्‍याचारी पिता हिरण्‍यकश्‍यप का वध करने के लिए नृसिंह अवतार लिया है। भगवान विष्णु के इस अवतार का प्राकट्य वैशाख मास की चतुर्दशी को हुआ था, इसलिए इस दिन भगवान नृसिंह की जयंती मनाई जाती है। देश भर में धर्मावलंबियों के बीच यह दिन बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

नृसिंह जयंती का धार्मिक महत्‍व (Religious significance of Narasimha Jayanti)

कहा जाता है कि नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti) पर नृसिंह भगवान की आराधना करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। नृसिंह भगवान (Lord Narasimha) अपने भक्तों के मन से भय को दूर करते हैं साथ ही भगवान के पूजन से भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। भगवान नरसिंह की पूजा से जीवन में आ रही सारी बाधाएं दूर होती हैं।

जिन लोगों को भय लगता है या सोते समय डरावने सपने आते हैं, उनको नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti) पर पूजा करनी चाहिए, इससे उन्हें नृसिंह भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष है यदि वो भगवान नृसिंह की उनकी जयंती पर पूजा करें तो लाभ प्राप्त होता है।

नृसिंह जयंती 2024 (Narasimha Jayanti 2024)

साल 2024 में नृसिंह जयंती 21 मई को मनाई जाएगी। नृसिंह जयंती पर पूजा का समय शाम 04:05 बजे से शाम 06:35 बजे तक है।

नृसिंह जयंती पूजा विधि (Narasimha Jayanti Puja Vidhi)

इस दिन सुबह उठकर स्नान करें, इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान नृसिंह (Narasimha) की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद फल, पुष्प, कुमकुम, केसर, पंचमेवा, नारियल, अक्षत और पीताम्बर आदि अर्पित करें। साथ ही  चंदन, कपूर, रोली व तुलसी के पत्ते भेंट कर धूपदीप दिखाएं। पूरे विधि विधान के साथ भगवान की पूजा करें। अंत में आरती करें और भोग लगाएं। कहा जाता है कि इस दिन रात्रि जागरण का विशेष फल प्राप्त होता है। साथ ही नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti) पर अपनी सामर्थ्य अनुसार तिल, स्वर्ण तथा वस्त्र दान करें। इस तरह से पूजा करने से भगवान नृसिंह आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।

नृसिंह जयंती की कथा (Story of Narasimha Jayanti)

सनकादिक ऋषियों के श्राप के कारण कश्यप और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए। जिनका नाम  हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष था। दोनों ने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी (Brahma Ji) को प्रसन्न कर लिया। जिसके बाद उन्हें ब्रह्मा जी (Lord Brahma) से वरदान प्राप्त हुआ, इस वरदान ने उन्हें अजेय बना दिया। इस वरदान की वजह से हिरण्यकश्यप (Hiranyakashipu) बेहद शक्तिशाली हो गया। उसने चारों तरफ उत्पात मचाना शुरू कर दिया।

ब्रह्मा जी (Lord Barhma) के वरदान के कारण उसे कोई पराजित नहीं कर पाया। ब्रह्मा जी से उसने वरदान मांगा था कि उसे न कोई मनुष्य मार पाए न ही पशु, न ही वह घर के अंदर मृत्य को प्राप्त हो और न ही घर के बाहर, उसे न ही दिन में मारा जा सके और न ही रात्रि में।

हिरण्यकश्यप (Hiranyakashipu) का एक पुत्र प्रह्लाद (Prahlad) था। जो भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का परम भक्त था। यह बात हिरण्यकश्यप को बिलकुल भी पसंद नहीं थी। उसने अपने पुत्र को मारने का कई बार प्रयास किया, लेकिन प्रह्लाद भगवान विष्णु की कृपा की वजह से हर बार बच जाता। एक बाद हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद (Prahlad) को जलाकर मारने की कोशिश की। इसके लिए उसने अपनी बहन होलिका (Holia) का सहायता ली। होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह कभी भी आग में नहीं जलेगी। होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन इस धधकती हुई आग में प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई।

जब हिरण्यकश्यप प्रह्लाद से परेशान हो गया तब उसने प्रह्लाद को भगवान विष्णु के अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए चुनौती दी। इस पर प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप से कहा कि भगवान विष्णु हर क्षण हर जगह विद्यमान हैं।  यहां तक ​​कि इस महल के स्तंभों में भी अभी उपस्थित हैं। यह सुनकर हिरण्यकश्यप ने महल के स्तंभ पर जोर से प्रहार किया। तो स्तंभ से भगवान विष्णु नृसिंह के भयानक रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु ने महल की दलहीज पर ले जाकर हिरण्यकश्यप का वध किया और उसके पापों से इस संसार को मुक्त कराया। भगवान नृसिंह के इस जगत में प्रकट होने वाली तिथि को ही नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):-

प्रश्न: नृसिंह जयंती कब मनाई जाती है?

उत्तर: नृसिंह जयंती वैशाख मास की चतुर्दशी को मनाई जाती है।

प्रश्न: नृसिंह जयंती 2024 कब है?

उत्तर: नृसिंह जयंती 21 2024मई को मनाई जाएगी।

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