कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima)

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कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima)

वैदिक पंचांग के अनुसार वर्ष का आठवां महीना कार्तिक, सबसे पवित्र महीना माना गया है। कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव-दीवाली (Dev Diwali) का अंतिम पर्व माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) विशेषकर स्नान, दान, तप व तुलसी पूजा (Tulsi Puja) का पर्व है। इस पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima), देव पूर्णिमा (Dev Purnima), त्रिपुरी पूर्णिमा (Tripuri Purnima) और गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) भी कहते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व (Religious significance of Kartik Purnima)

कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) का हिन्दुओं के लिए बहुत ही महत्व है। यह पूर्णिमा शैव मत (Shaiv mat) व वैष्णव मत (Vashanav mat) दोनों ही लोगों के लिए पूजनीय है। 

वैष्णव मत (Vashanav Mat)

पुराणों के अनुसार वैष्णव मत (Vashanav Mat) के लिए यह पूर्णिमा इसलिये पूजनीय है क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु (Bhagavan Vishnu) ने जलप्रलय से पृथ्वी को बचाने के लिए मत्स्य के रूप में प्रथम अवतार लिया था। इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों द्वारा ब्रह्मा जी (Brahma ji) के वेद चुराने के बाद उन्हें खोजने के लिये हयग्रीव (Haygreev) का अवतार लिया था।

शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन ही माता तुलसी (Mata Tulsi) का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसलिये इस दिन माता तुलसी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और तुलसी पत्र (Tulsi Patra) को भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को अर्पित किया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन गोलोक में भगवान विष्णु के अवतारी श्रीकृष्ण (Sri Krishna Bhagwan) राधा जी (Radha ji) की पूजा करते हैं। इसलिये इसी दिन राधा महोत्सव (Radha Mahotsav) मनाया जाता है। वृंदावन  (Vrindavan) और बरसाने (Barsane) में इस दिन राधा महोत्सव (Radha Mahotsav) की धूमधाम देखी जा सकती है।

शैव मत (Shaiv mat)

शैव मत को मानने वालों के लिए कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) इसलिये पूजनीय है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव (Bhagwan Shiv) ने महाभयंकर राक्षस त्रिपुरासुर (Tripurasur) का अंत किया। इसलिये भगवान शिव त्रिपुरारी (Tripurari) कहलाये। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) को कृतिका में भगवान शिव के दर्शन जो व्यक्ति करता है, वो व्यक्ति सात जन्म तक ज्ञान और धन से परिपूर्ण रहता है। कृतिका तब होता है जब कार्तिक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा आकाश में उदीयमान हो रहा हो उस समय शिवा (Shiva), संतति (Santati), अनुसूया (Anusuya), शिवा (Shiva), प्रीति (Preeti) और क्षमा (Kshma) कृतिकाओं का पूजन करने से भगवान भोलेनाथ (Bhagwan Mahadev) बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं।

सिख धर्म (Sikh Dharm)

कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) सिखों का पावन पर्व है क्योंकि इसी दिन सिख धर्म (Sikh Dharm) की स्थापना करने वाले प्रथम गुरु गुरुनानक (Guru Nanak) का जन्म हुआ था। सिख भाई इस दिन पूर्ण श्रद्धा से गुरु पर्व (Guru Parv) मनाते हैं। इस दिन साफ-सफाई करने के साथ स्नान करने के बाद गुरुद्वारे (Gurudware) जाते हैं और वहां गुरुवाणी (Guruvani) सुनते हैं तथा लंगर आदि आयोजित करके सेवा करते हैं। 

कार्तिक पूर्णिमा पर धार्मिक लाभ के लिए क्या करें (What to do for religious benefits on Kartik Purnima)

कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन सुबह घर की साफ सफाई करने के बाद गंगा (Ganga), यमुना (Yamuna), गोदावरी (Godavari), नर्मदा (Narmada), गंडक (Gandak), सरयू (Saryu) आदि पवित्र नदियों में स्नान, दीपदान, हवन, यज्ञ,अन्न दान करने से जीवन के कष्ट समाप्त होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दान का कई गुणा लाभ प्राप्त होता है।

कब है कार्तिक पूर्णिमा (When is Kartik Purnima)

वर्ष 2024 में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) 15 नवम्बर, दिन शुक्रवार को मनाई जायेगी। 

किस प्रकार करें स्नान और दान  (How to bathe and donate)

स्नान और दान के बारे में महर्षि अंगिरा (Maharishi Angira) ने बताया है कि यदि स्नान में कुशा और दान में हाथ में जल लेकर संकल्प करें तो इसका महत्व बहुत बढ़ जाता है । इसके बिना स्नान और दान का कोई महत्व नहीं होता है। इसलिये स्नान करते समय हाथ में कुशा अवश्य लें तथा दान करते समय हाथ में जल लेकर संकल्प अवश्य लें। 

कार्तिक पूर्णिमा से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा को सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि इस दिन अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों की शुरुआत हुई थी।

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा के दिन किस प्रकार की पूजा की जाती है?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा के दिन विभिन्न देवताओं की पूजा की जाती है, जैसे कि भगवान विष्णु, भगवान शिव, और माता तुलसी की पूजा।

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या धर्मिक कार्य किए जाते हैं?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, हवन, यज्ञ, और माता तुलसी की पूजा किए जाते हैं जो धार्मिक लाभ और मोक्ष की प्राप्ति में मदद करते हैं।

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा के दिन क्या महत्वपूर्ण रीति-रिवाज होते हैं?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह गंगा, यमुना, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और फिर विभिन्न धार्मिक कार्यों की पूजा की जाती है।

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा के दिन कैसे धर्मिक लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करें, दान दें, और धार्मिक क्रियाओं में भाग लें, जो आपको आत्मिक और धार्मिक लाभ प्रदान करेंगे।

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा का पावन पर्व कैसे मनाया जाता है?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा को स्नान, पूजा, व्रत, दान, और संगीतीकरण के साथ मनाया जाता है। लोग गंगा घाटों पर समाजिक उत्सवों में भाग लेते हैं और मंदिरों में भक्ति भाव से जाते हैं।

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा को किस प्रकार व्रत रखा जाता है?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा को विशेष उपायों के साथ व्रत रखा जाता है, जैसे कि उपवास, तुलसी की पूजा, और ध्यान। यह व्रत व्यक्तिगत साधना और आध्यात्मिक विकास का अवसर प्रदान करता है।

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा पर किस प्रकार के धार्मिक संगीतीकरण होते हैं?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा पर भजन, कीर्तन, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ होती हैं जो धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण बनाती हैं। इसमें लोकप्रिय काव्यगोष्ठियाँ और कथाएँ भी शामिल होती हैं।

प्रश्न: कार्तिक पूर्णिमा को शास्त्रीय गीतों का क्या महत्व है?

उत्तर: कार्तिक पूर्णिमा पर शास्त्रीय संगीत की ध्वनि सुनाई जाती है, जो आत्मा को शांति और सुख का अनुभव कराती है। इससे लोगों की मानसिक स्थिति को शांत किया जाता है और ध्यान में लगने में मदद मिलती है।

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