सत्यनारायण पूजा (Lord Satyanarayan’s Puja)

Lord Satyanarayan Puja

सत्यनारायण पूजा (Lord Satyanarayana’s Worship)

सत्यनारायण भगवान की पूजा (Satyanarayana Bhagwan ki Puja) को सत्यनारायण व्रत कथा (Satyanarayana Vrat Katha) के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के सत्य स्वरुप को सत्यनारायण कहते हैं। सत्यनारायण कथा (Satyanarayana katha) की हिन्दुओं में काफी मान्यता है। यह पूजा मुख्यतः गुरुवार को ही करी जाती है और पूर्णिमा के दिन ही इस कथा का वाचन किया जाता है। इस कथा में छोटी-छोटी कहानियों के माध्यम से सत्य का पालन करना सिखाया गया है। इस कथा के अनुसार सत्य का पालन पूरी निष्ठा से करना चाहिए अन्यथा भगवान रुष्ट हो जाते हैं और संपत्ति और बंधू – बान्धवों को सुख से वंचित कर देते हैं।  

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार नारद मुनि (Narad Muni) धरती के भ्रमण पर निकले थे और उन्होंने मनुष्यों को भूख और बिमारियों से त्रस्त देखा। जब उन्होंने यह समस्या विष्णु भगवान  (Bhagwan Vishnu) को बताई तो विष्णु जी ने नारद मुनि द्वारा मनुष्यों तक सन्देश पहुचाया कि क्या करने से वे स्वस्थ और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते हैं। इसी विधि को सत्यनारायण व्रत (Satyanarayana Vrat) के नाम से जाना जाता है। 

सत्यनारायण पूजा विधि (Method of worshipping)  

पूजा के स्थान को गोबर लीपकर पवित्र करें और उस पर चौकी रखें।
उस  चौकी पर सत्यनारायण भगवान की मूर्ती या तस्वीर रखें।
पूजा का स्थान पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
हल्दी, मोली, पान, सुपारी, इत्यादि से सत्यनारायण भगवान की पूजा करें।
प्रसाद के लिए दूध, दही, शहद, मेवा, तुलसी पत्ता आदि मिलाकर पंचामृत बनायें और साथ में आटे की पंजीरी और केले के फल का भोग लगायें।
पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद ग्रहण करें।

जो व्यक्ति सत्यनारायण पूजा (Satyanarayana pooja) का संकल्प लेता है, उसे दिन भर व्रत रखना चाहिए। मान्यता है कि सत्यनारायण पूजा करने से कई लाभ (benefits) प्राप्त होते हैं जैसे इंसान की परेशानियाँ दूर हो जाती हैं, इच्छाएँ एवं ज़रूरतें पूरी हो जाती हैं, मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है और पाप नष्ट हो जाते हैं।

सत्यनारायण पूजा का इतिहास (History of Satyanarayan Puja)

सत्यनारायण पूजा का प्राचीन इतिहास है। इसके अनुसार, पूजा का आरंभ महाभारत काल में हुआ था, जब महाराज युद्धिष्ठिर ने धर्मराजा यानी भगवान धर्म की उपासना की थी। यह पूजा द्वापर युग के महत्वपूर्ण घटनाओं के साक्षी मानी जाती है।

सत्यनारायण पूजा का महत्व (Importance of Satyanarayan Puja)

सत्यनारायण पूजा का महत्व अत्यधिक है, और यह विश्वास किया जाता है कि इसका आयोजन करने से विभिन्न प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है। इस पूजा का उद्देश्य सफलता, धन, सुख, और भगवान के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। सत्यनारायण पूजा का आयोजन सबसे अच्छा तरीका है भगवान के प्रति आदर्श और आवश्यक गुणों की प्रतिष्ठा करने का।

श्री सत्यनारायण पूजा सामग्री (Shri Satyanarayan Puja Samagri)

Shri Satyanarayan Puja में केले के पत्ते व फल के अलावा पंचामृत, पंच गव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा की आवश्यक्ता होती जिनसे भगवान की पूजा होती है ।सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, मधु, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है जो भगवान को प्रिय है. इसके अलावा फल, मिष्टान के अलावा आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर एक प्रसाद बनता वह भी भोग लगता है । जब सत्यनारण की कथा करवानी हो तो इन सामग्रियों की व्यवस्था कर लेनी चाहिये ।

 

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