छठ पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला एक पर्व है। छठ पूजा के दिन भगवान सूर्य की पूजा (Bhagwan Surya ki Puja) की जाती है। कार्तिक माह में दीपावली (Deepawali) मनाए जाने के पश्चात शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह पर्व मनाए जाने के कारण इसका नाम छठ पर्व अथवा छठ पूजा पड़ा। छठ पूजा की शुरुआत बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के क्षेत्रों से हुई। प्रमुख रूप से छठ बिहारियों का सांस्कृतिक पर्व है। धीरे-धीरे छठ पूजा उत्तर प्रदेश में भी पूरे धूमधाम से मनाई जाने लगी है। छठ पूजा का उल्लेख ऋग्वेद (Rigved) में मिलता है। छठ पूजा ऐसी पूजा है जिसमें किसी प्रकार की मूर्ति पूजा शामिल नहीं होती। छठ पूजा के दिन श्रद्धालु स्नान एवं व्रत करते हैं तथा सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पानी में खड़े होते हैं। ना केवल महिलाएं अपितु पुरुष भी इस उत्सव में पूरी लगन से भाग लेते हैं। 2 से 3 दिन तक चलने वाला एक धार्मिक त्यौहार (Dharmik Tyohar) है, जिसमें बढ़-चढ़कर भक्त हिस्सा लेते हैं।
छठ पूजा की पौराणिक कथा (Mythology of Chhath Puja)
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब पहली बार देवताओं और असुरों में युद्ध (Devta Asur Yudh) हुआ तब असुरों की शक्ति के आगे देवता हार गए। असुरों की परास्त ना होने वाली शक्ति को देखते हुए देवता गण चिंतित हो गए, तब सभी देवताओं के कल्याण के लिए माता अदिति (Mata Aditi) ने एक विजई तथा तेजस्वी पुत्र प्राप्ति के लिए सूर्य मंदिर में छठ मैया (Chhathi Maiya) की आराधना की थी। माता अदिति के तपस्या से प्रसन्न होकर छठ मैया ने उन्हें सभी गुणों से युक्त तेजस्वी पुत्र होने का सौभाग्य प्रदान किया। छठ माता (Chhath Mata) से वरदान प्राप्त करने के बाद माता अदिति के पुत्र आदित्य ने जन्म लिया तथा उन्होंने युद्ध में असुरों को परास्त कर देवताओं को विजय दिलाई। देवता एवं असुरों के मध्य प्रथम संग्राम से ही से माता छठ की पूजा (Chhath Mata ki Puja) होने लगी तथा छठ का चलन आरंभ हो गया।
छठ पूजा लगातार 2 से 3 दिनों तक चलने चलने वाला पर्व है, जो भैया दूज के बाद तीसरे दिन से प्रारंभ होती है। छठ पूजा के पहले दिन सेन्धा नमक और घी से बना चावल तथा कद्दू की सब्जी को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। छठ पूजा के दूसरे दिन भक्तों का व्रत प्रारंभ होता है तथा भक्त पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं। छठ पूजा के दूसरे दिन शाम 7:00 बजे के बाद खीर बनाकर पूजा करने के उपरांत भक्त अपना व्रत तोड़ते हैं तथा खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। छठ पूजा (Chhath Puja) के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है तथा आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर यह पूजा समाप्त की जाती है। छठ पूजा के दौरान महिलाएं अपने अपने घरों में भक्ति गीत गाती हैं तथा पूरी श्रद्धा से पूजा करती हैं।
वर्ष 2023 में छठ का त्योहार 17 नवंबर 2023 से 20 नवंबर 2023 तक मनाया जाएगा. छठ का पर्व चार दिन तक चलता है । नहाय खाय (Nahay Khay) से इसकी शुरुआत होती है, फिर दूसरे दिन खरना (Kharna), तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य (Doobte Surya ko Ardya) और चौथे दिन उगते सूर्य को जल चढ़ाया (Ugate Surya ko Jal Chadana) जाता है। छठ पूजा 19 नवंबर 2023 को है। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए यह तिथि एक महत्वपूर्ण तिथि है। कुछ महिलाएं पति की दीर्घायु एवं संतान सुख की कामना के लिए भी यह व्रत करती हैं।
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