महा मृत्युंजय हवन पूजा (Havan Puja) लंबे स्वस्थ जीवन और लंबी बीमारी से निजात पाने के लिए की जाती है। महा मृत्युंजय जाप (Mahamrityunjay Jaap) और हवन पूजा (Havan Pooja) मृत्युशैया पर लेटे व्यक्ति को जीवनदान दे सकती है।
।।ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
महामृत्युंजय मंत्र हवन (Mahamrityunjaya Mantra Havan) से पहले महा मृत्युंजय जाप किया जाता है। सबसे पहले जाप माला से भगवान शिव (Bhagwan Shiv) के महामृत्युंजय जाप मंत्र का 108 बार जाप करे, फिर शिवलिंग पर पहले फूल चढ़ाएं फिर दूध व जल से अभिषेक करे और फिर संकल्प करे (एक बर्तन में पानी डालें और भगवान शिव का आशीर्वाद माँगे)। महामृत्युंजय जाप पूजा के अंत में हवन किया जाता है। हवन के दौरान भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। भगवान शिव (Lord Shiva) का आह्वान करके हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करके, भोलेनाथ का अभिषेक, पूजन, अर्चना की जाती है और स्वाहा बोलते हुए आहुतियां दी जाती है। पूर्णाहुति के साथ हवन संपन्न करके अंत में भगवान भोलेनाथ (Bhagwan Bholenath) को भोग लगाया जाता है।
श्री महामृत्युंजय मंत्र वह मंत्र है जो व्यक्ति की ओर आने वाली मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर सकता है इसलिए महामृत्युंजय पूजा उस व्यक्ति के लिए की जाती है जो गंभीर बीमारी से पीड़ित हो।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से किया जाता है। संकट की स्थिति में शिवलिंग (Shivling) के सामने या भगवान शिव की मूर्ति के सामने रूद्र (Rudra) की माला से इस मंत्र का जाप और हवन करना बहुत फलदायी होता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार और अधिकतम सवा लाख बार किया जाना चाहिए। जप करने वाले व्यक्ति को एक बार में एक माला, 108 जाप पूरे करने चाहिए। इसके बाद सुमेरु से माला पलटकर पुनः जाप आरंभ करना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में माला का सुमेरु लांघना नहीं चाहिए।
सावन शिव जी का प्रिय महीना है और महा मृत्युंजय मंत्र भोलेनाथ को प्रसन्न करने का आसान तरीका है इसलिए सावन में इस मंत्र का जाप और हवन जरूर करना चाहिए। सावन में इसका जप और हवन करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।
महा मृत्युंजय हवन और मंत्र जाप हमेशा शुभ मुहूर्त जैसे महाशिवरात्रि, श्रावणी सोमवार, प्रदोष या कृष्ण पक्ष के सोमवार से शुरू करने चाहिए।
सुपारी, लौंग, रोली, चावल, चंदन, हल्दी पाउडर, हल्दी की गांठ, धूप, कपूर, घी, बत्ती (गोल), बत्ती (लंबी), दीपक, अगरबत्ती, केसर, पंच मेवा, इलायची, गंगा जल, शहद, मिठाई, तेल, पीली सरसों, हनुमान सिन्दूर, अष्टगंध, पान का पत्ता, आम की पत्तियां, पंचामृत, नारियल, फूल, तुलसी की पत्तियां, बेल पत्र, धतूरा फल और फूल, आक का फूल, शिव लिंग, हवन सामग्री (Havan Samagri) और हवन कुंड (Havan Kund)।
आपके जीवन के सभी बुरे प्रभावों को खत्म कर देता है।
अस्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
यह आपके और आपके परिवार के चारों ओर सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है।
आपके पारिवारिक जीवन में खुशियाँ लाता है।
ना केवल इस जीवन बल्कि अतीत से जुड़े हुए सभी पापों को भी समाप्त कर देता है।
यह पूजा अनेक दोषों जैसे नाड़ी दोष, भकूट दोष आदि दोषों को दूर करने के लिए की जाती है।
भगवान शिव (Bhagwan Shiv) अपने महाकाल रूप में श्री महामृत्युंजय मंत्र के देवता (Maha Mrityunjay Mantra ke Devta) है जो हर जीवित प्राणी की मृत्यु को नियंत्रित करते है। जातक अप्राकृतिक या अकाल मृत्यु से बचने के लिए महा मृत्युंजय हवन पूजा (Maha Mrityunjay Havan Pooja) करते है।
जो व्यक्ति नकारात्मक घटनाओं से डरता है, डर से हार जाता है, उसे अपने डर और भय से जीतने के लिए महामृत्युंजय हवन पूजा (Maha Mrityunjay Havan Pooja) जरूर करनी चाहिए। यज्ञ हवन (Yagya Havan) ना केवल आपके मन को बल्कि आपकी आत्मा को भी असीम शांति देते है।
महा मृत्युंजय हवन और पूजा से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: महा मृत्युंजय हवन और पूजा विधि क्या है?
उत्तर: महा मृत्युंजय हवन और पूजा विधि में पहले महामृत्युंजय जाप किया जाता है। इसके बाद भगवान शिव का आह्वान करके हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। हवन सामग्री में सुपारी, लौंग, रोली, चावल, चंदन, हल्दी पाउडर आदि डालकर मंत्रोच्चारण के साथ आहुतियां दी जाती हैं। अंत में भगवान भोलेनाथ को भोग लगाया जाता है।
प्रश्न: महा मृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे किया जाता है?
उत्तर: महा मृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से किया जाता है। शिवलिंग के सामने या भगवान शिव की मूर्ति के सामने रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है। जाप कम से कम 108 बार और अधिकतम सवा लाख बार किया जाना चाहिए।
प्रश्न: महा मृत्युंजय हवन के लिए कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है?
उत्तर: महा मृत्युंजय हवन के लिए आवश्यक सामग्री में सुपारी, लौंग, रोली, चावल, चंदन, हल्दी पाउडर, धूप, कपूर, घी, दीपक, अगरबत्ती, केसर, पंचमेवा, गंगा जल, शहद, मिठाई, तेल, पीली सरसों, हनुमान सिन्दूर, अष्टगंध, पान का पत्ता, आम की पत्तियां, पंचामृत, नारियल, फूल, तुलसी की पत्तियां, बेल पत्र, धतूरा फल और फूल, आक का फूल, शिव लिंग, हवन सामग्री और हवन कुंड शामिल हैं।
प्रश्न: महा मृत्युंजय हवन का महत्व क्या है?
उत्तर: महा मृत्युंजय हवन के द्वारा जीवन के सभी बुरे प्रभावों को समाप्त किया जा सकता है। यह अस्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार करता है और परिवार के चारों ओर सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है। यह पूजा अनेक दोषों को दूर करने के लिए भी की जाती है, जैसे कि नाड़ी दोष और भकूट दोष।
प्रश्न: महा मृत्युंजय हवन कब करना चाहिए?
उत्तर: महा मृत्युंजय हवन पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त जैसे महाशिवरात्रि, श्रावणी सोमवार, प्रदोष या कृष्ण पक्ष के सोमवार से शुरू करनी चाहिए। सावन का महीना भी इस पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
प्रश्न : महा मृत्युंजय मंत्र जाप का क्या लाभ है?
उत्तर: महा मृत्युंजय मंत्र जाप व्यक्ति को गंभीर बीमारियों से मुक्ति दिलाता है, पारिवारिक जीवन में खुशियाँ लाता है, और नकारात्मक घटनाओं से रक्षा करता है। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करती है।
पूरब पश्चिम विशेष -
Method of Sudarshana Homam | Method of Vastu Havan
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