विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja)

Vishwakarma Puja

विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja)

विश्वकर्मा पूजा या विश्वकर्मा जयंती महोत्सव का आयोजन भगवान विश्वकर्मा जी के प्राकट्य अवसर अर्थात् जन्मदिन के अवसर पर किया जाता है। 

जन्म तिथि का विवरण  (Date of birth details of Lord Vishwakarma)

विश्वकर्मा पूजा भारतीय कैलेंडर के अनुसार कन्या संक्रांति को मनायी जाती है। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma) का जन्म इसी दिन हुआ था। भारतीय पंचांग के अनुसार यह कन्या संक्रांति भारतीय मास भादौं के अंत में आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 16 से 18 सितम्बर के मध्य यह तिथि आती है। हालांकि भगवान विश्वकर्मा पूजा (Bhagwan Vishwakarma Puja) प्रतिवर्ष 17 सितम्बर को ही मनायी जाती है। कभी-कभी भारतीय पंचांग की विशेष स्थितियों के कारण ही विश्वकर्मा पूजा एक दिन आगे पीछे होती है। 

विश्वकर्मा पूजा का महत्व (Significance of Vishwakarma Puja)

सृजन के देवता और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के दिव्य शिल्पकार, दिव्य इंजीनियर, वास्तुकार विश्वकर्मा जी का इतना महत्व है कि उनके जन्म दिन को पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाने के लिए एक दिन निश्चित किया गया है। इसी दिन होने वाले महोत्सव को विश्वकर्मा पूजा कहते हैं। भगवान विश्वकर्मा वर्तमान समय में धरती लोक के समस्त शिल्पकारों और वास्तुकारों के इष्ट देव हैं । इसलिये सम्पूर्ण जगत में श्री विश्वकर्मा पूजा मनायी जाती है। 

कौन-कौन है विश्वकर्मा जी के भक्त  (Who are the devotees of Vishwakarma ji?)

प्रथम इंजीनियर, प्रथम शिल्पकार व वास्तुकार होने के कारण विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर समस्त उद्योगों, फैक्ट्रियों एवं कल कारखानों एवं उपकरणों, मशीनों व अस्त्र-शस्त्रों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। विश्वकर्मा पूजा शिल्पकारों, वास्तुकारों व इंजीनियरों के लिए उत्सव का दिन है। आस्था एवं श्रद्धा-भक्ति के प्रतीक विश्वकर्मा पूजा न केवल इंजीनियरिंग एवं वास्तुशिल्प जगत के लोगों द्वारा मनायी जाती है बल्कि कारीगरों, छोटे शिल्पकारों, यांत्रिकी से जुड़े कर्मचारियों, लोहारों, वेल्डरों, औद्योगिक श्रमिकों, कारखाने के श्रमिकों द्वारा भी मनायी जाती है। 

अधिकांश शिल्पकार विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) के दिन अपने नई-नई मशीनों, उपकरणों व औजारों का शुभारम्भ करते हैं। इन लोगों को विश्वास है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन पूजा-अर्चना के बाद शुरू किये गये नये कार्य से उनके जीवन में अच्छी-खासी तरक्की मिलती है। सभी भक्त अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना करके विश्वकर्मा जी से अपने लिए खुशहाली, बेहतर भविष्य, सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों के साथ-साथ अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। देश-विदेश में होती है विश्वकर्मा पूजा । 

अपने देश के कई राज्यों में तो विश्वकर्मा पूजा पर अवकाश रहता है। कई राज्यों में पूजा के आयोजन के लिए विशेष अवधि अवकाश दिया जाता है। किन्तु पूरे देश में विश्वकर्मा पूजा का पर्व बहुत ही श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन अधिकांश कल-कारखाने, औद्योगिक संस्थान बंद रहते हैं। भारत के राज्यों के अलावा नेपाल में भी विश्वकर्मा पूजा धूमधाम से मनायी जाती है। इसके अलावा यह पर्व विश्व के उन देशों में भी मनाया जाता है जहां पर रहने वाले भारतीय कामगारों की संख्या अधिक है।

विश्वकर्मा पूजा की पूजा कब करें, क्या है शुभ मुहूर्त (When to worship Vishwakarma Puja, what is the auspicious time?)

भारतीय पंचांग में वर्णित शुभ मुहूर्त के अनुसार प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष 2024 में भी विश्वकर्मा पूजा 16 सितम्बर 2024 दिन सोमवार को मनायी जायेगी। विश्वकर्मा पूजा की पूजा का आयोजन वैसे तो पूरे दिन किया जा सकता है लेकिन शुभ मुहूर्त में पूजा किये जाने का विशेष लाभ प्राप्त होता है। 

पूजा के दिन क्या-क्या करें  (What to do on the day of Vishwakarma Puja)

विश्वकर्मा पूजा की पूजा के लिए सबसे पहले सुबह अपने छोटे-बड़े संस्थान, दुकान, कार्यालय, वर्कशाप एवं अन्य किसी तरह के कार्य करने की जगह को खूब अच्छी तरह से साफ सफाई कर लें और सम्पूर्ण स्थान को शुद्ध जल या गंगा जल को छिड़क कर शुद्ध कर लें।  काम आने वाले सभी उपकरण, औजार, मशीनों एवं अन्य सहायक वस्तुओं की अच्छी तरह से साफ सफाई करके बड़ी-बड़ी मशीनों को छोड़कर उन्हें पूजा स्थल पर सजा करके रखें। पूजा करने से पूर्व संस्थान के मुख्य द्वार को आम या अशोक के वृक्षों के पत्तों और फूलों से बने वंदनवार (तोरणद्वार) से सज्जित करें। विश्वकर्मा जी की पूजा से पहले विघ्नहर्ता भगवान श्रीगणेश (Vighnaharta Shree Ganesha) का आवाहन कर पूजन करें। विश्वकर्मा पूजा के लिए पूजा करने के स्थान पर आचार्य की सहायता से कलश की स्थापना करनी चाहिये। कलश स्थापना के बाद भगवान विश्वकर्मा जी का चित्र या प्रतिमा स्थापित करना चाहिये। विश्वकर्मा पूजा के विधि-विधान के अनुसार कलश और चित्र के आसपास हवन करने के लिए हवन कुंड की भी स्थापना करनी चाहिये। 

सर्वप्रथम भगवान विश्वकर्मा का आवाहन करें और जल, पुष्प, अक्षत लेकर मंत्र पढ़ें और हवन (Havan) करें। इसके बाद संस्थान के चारों ओर पूजा के पवित्र जल और अक्षत को छिड़कें। साथ ही अपने हाथ में कलावा बांधे तथा सभी मशीनों औजारों की पूजा करके उसमें भी कलावा बांधें। इसके बाद पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ भगवान विश्वकर्मा जी का ध्यान करें, उनकी आराधना करें। साथ ही दीप जला कर उनकी आरती करें। पूरे संस्थान में आरती को घुमाते हुए पूजा स्थल पर लायें। पूजा के बाद भगवान विश्वकर्मा जी से अपने संस्थान एवं संस्थान से जुड़े सभी लोगों के कार्यां में सफलता की कामना करें। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा जी को फल-फूल, अन्न-मिष्ठान आदि का भोग लगायें। उपस्थित सभी लोगों को भोग-प्रसाद का वितरण करें। 

विश्वकर्मा पूजा से मिलने वाले लाभ  (Benefits of Vishwakarma Puja)

वैसे तो विश्वकर्मा पूजा का आयोजन एक आध्यात्मिक विषय है लेकिन इसके अनेक लाभ ही लाभ हैं। सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे हम अपने सनातन संस्कारों को पहचानते हैं और यह जानते हैं कि हमें भगवान विश्वकर्मा (Bhagwan Vishwakarma Ji) जी से क्या-क्या प्राप्त हुआ है। दूसरा यह कि हम इसी तरह से अपने इष्ट देव का आभार जताने का महत्वपूर्ण कर्तव्य अदा कर पाते हैं। इसके अलावा इस आयोजन से अपने-अपने संस्थानों, मशीनों, उपकरणों आदि की साफ सफाई कर लेते हैं और उनका रखरखाव कर लेते हैं। साथ ही हमें इस बात का ज्ञान होता है कि ये संस्थान, मशीनें केवल पैसे कमाने का साधन ही नहीं बल्कि श्रद्धा-भक्ति का पात्र हैं। विश्वकर्मा पूजा के आयोजन से सभी जन में नये उत्साह व नई शक्ति का भी संचार होता है। इससे हमं नये हौसले से अपना काम करते हैं तो हमें सफलता भी प्राप्त होती है। यह भी मान्यता है कि जब हम विश्वकर्मा पूजा में अपने इष्टदेव से पूर्ण श्रद्धा से जो कुछ कामना करते हैं, वो अवश्य ही पूरी हो जाती है। इससे हमारा जीवन सफल हो जाता है।

प्रार्थना करें (Pray)

सनातन धर्म की स्थापना जगत कल्याण के लिए हुई है। इसलिये सभी लोगों को विश्वकर्मा पूजा की पूजा के बाद मुक्त कंठ से सम्पूर्ण शिल्पकार, वास्तुकार जगत के कल्याण के लिए प्रार्थना करें। 

विश्वकर्मा पूजा से जुड़े प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: क्या है विश्वकर्मा पूजा और इसका महत्व क्या है?

उत्तर: विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो कन्या संक्रांति के दिन होता है। इस महोत्सव में विश्वकर्मा जी को श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता है, जिसका महत्व उनके सृजन के देवता और दिव्य शिल्पकार के रूप में होने से होता है।

प्रश्न: कौन-कौन है विश्वकर्मा जी के भक्त?

उत्तर: विश्वकर्मा जी के भक्त इंजीनियर, शिल्पकार, और वास्तुकार होते हैं, जो इस महोत्सव को उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं।

प्रश्न: विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?

उत्तर: भारतीय पंचांग के अनुसार, विश्वकर्मा पूजा 2024 में 16 सितंबर को मनाई जाएगी। यह पूजा पूरे दिन किय जा सकती है, लेकिन शुभ मुहूर्त में करने का विशेष महत्व होता है।

प्रश्न: विश्वकर्मा पूजा के दिन क्या करें?

उत्तर: विश्वकर्मा पूजा के दिन, संस्थान को साफ-सफाई करें, विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित करें, पूजा और हवन करें, और फल-फूल और प्रसाद बाँटें।

प्रश्न: विश्वकर्मा पूजा से मिलने वाले लाभ क्या हैं?

उत्तर: विश्वकर्मा पूजा से हम अपने सृजनात्मक क्षमताओं को बढ़ाते हैं, और सफलता और प्रसन्नता की कामना करते हैं। इसके अलावा, यह हमें श्रद्धा और ध्यान में स्थिर रहने की शक्ति प्रदान करता है।

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